अध्याय ६ब्राह्मण ४ ७६३ अन्नीयाताम्बावें । इति ऐसा करने से । + तौ-वे स्त्री पुरुष । जनयित्तवैप्रभीष्ट पुन पैदा करने के लिये । ईश्वरी समर्थ । + स्याताम्-होंगे। + परम्-परन्तु । + तत्वह मोदन । औने-सांद के मांस के साथ । वा अथवा । आर्षभेण- किसी बड़े बैल के मांस के साथ । + पच्यात्-पकावे । भावार्थ । जो पुरुष चाहे कि मेरा पुत्र विद्वान् और महतीसभा का जीतनेवाला हो, मधुरभापी हो, सब वेदों का ज्ञाता हो, पूर्ण श्रायुवाला हो तो मांस और चावल पकाकर उसमें घृत डाल कर दोनों खावे, ऐसा करने से वे अभीष्ट पुत्र के पैदा करने में समर्थ होते हैं, परन्तु चावल सांड़ के मांस के साथ अथवा किसी बड़े बैल के मांस के साथ पकाये जावें ॥१८॥ मन्त्र: १६ अथाभिमातरेव स्थालीपाकावृताऽऽज्यं चेष्टित्वा स्थालीपाकस्योपघातं जुहोत्यग्नये स्वाहाऽनुमत्तये स्वाहा देवाय सवित्रे सत्यप्रसवाय स्वाहेति हुत्वोद्धत्य माश्नाति प्राश्येतरस्याःप्रयच्छति प्रक्षाल्य पाणी उदपात्रं पूरयित्वा तेनैनां त्रिरभ्युक्षत्युत्तिष्ठातो विश्वावसोऽन्यामिच्छ प्रपूर्व्या संजायां पत्या सहेति ।। पदच्छेदः। अथ, अभिप्रातः, एव, स्थालीपाकावृताऽऽज्यम् , चेष्टित्वा, स्थालीपाकस्य, उपघातम् , जुहोति, अग्नये, स्वाहा, अनुमतये, स्वाहा, देवाय, सवित्रे, सत्यप्रसवाय, स्वाहा, इति, हुत्वा, , 1
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