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बेकन-विचाररत्नावली।


रणमें प्रसिद्ध करते हैं? साक्रेटीज़, आरिस्टाटल[१] और गेलन[२] इत्यादि पुरुष ऐसे होगए हैं जिनको आडम्बर अच्छा लगता था। प्रशंसा होनेसे मनुष्यकी कीर्ति चिरायु होती है। सद्गुणसम्पन्न मनुष्यका यश जितना स्वयं उसकेद्वारा फैलता है उतना दूसरेके द्वारा नहीं फैलता। सिसरो सेनेका और दूसरे[३]प्लीनीमें यदि थोड़ा बहुत आत्माभिमान न होता तो उस समय उनके नाम की इतनी प्रसिद्धि कभी न होती। आत्माभिमान वारनिश (एक प्रकारका रोग़न) के समान है। वारनिश की हुई वस्तु जैसे अधिक चमकती है वैसेही अधिक दिनतक रहती भी है। इसी भाँति शुद्ध अभिमानके योगसे सद्गुणोंका प्रकाश विशेष होता है और अधिक कालपर्यन्त रहता है।

जो कुछ ऊपर कह आए हैं वह उस आत्मश्लाघा अथवा उस


  1. अरिस्टाटल ईसवी सन् के ३८४ वर्ष पहिले ग्रीसमें पैदा हुवा था। यह एक प्रसिद्ध तत्त्ववेत्ता था। इसने प्लेटोके पास विद्याध्ययन किया था। सिकन्दरके पिताने इसीसे सिकन्दरको शिक्षण दिलाया था।
  2. गेलन ईसवी सन् के दूसरे शतकमें उत्पन्न हुवा। यह एक विख्यात वैद्य था। इसने वैद्यकके अनेक ग्रन्थ लिखे हैं।
  3. दूसरा प्लीनी रोमनगरके एक अच्छे घरानेका था। यह स्पेनका गवर्नर नियत किया गया था। विद्योपार्जनमें यह इतना दत्तचित्तसे लगा रहता था कि इसने अपना एक भी मिनट व्यर्थ नहीं खोया। यहांतक कि, भोजन तथा स्नान करनेके समय भी वह शास्त्रचर्चा करता रहता था। साहसी भी वह इतना था कि, व्यस्यूषियस नामक ज्वालामुखी पर्वतकी परीक्षाके लिए, अपने मित्रोंके द्वारा रोके जानेपर भी, वह उसके इतना निकट पहुंच गया कि, वहीं परीक्षा करतेही करते पर्वतकी प्रचंड लपटोंसे उसे अपने प्राण देने पड़े। ५६ वर्षके वयमें इसकी मृत्यु ७९ ई॰ में हुई। इसने अनेक ग्रन्थ लिखे; परन्तु "नैच्युरल हिस्टी" (जिसके ३७ भाग हैं) के सिवाय इसके और कोई ग्रन्थ देखने में नहीं आते।