पृष्ठ:बौद्ध धर्म-दर्शन.pdf/२४

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सहायता प्राप्त न होती तो पुस्तक के प्रकाशित होने में अभी बहुत विलंब होता। मैं इन मित्रों के प्रति अपनी हार्दिक कृतशता प्रकाशित करता हूँ। मैं अपने सहपाटी तथा भारतीय दर्शनों के प्रकांड विद्वान् पं. गोपीनाथ जी कविराज का विशेष रूप से अाभारी हूँ कि उन्होंने ग्रंथ की भूमिका लिखने की मेरी प्रार्थना को स्वीकार किया। अपनी विस्तृत भूमिका में उन्होने बौद्ध-तंत्र का प्रामाणिक विवरण दिया है। इस प्रकार पाठक देखेंगे कि भूमिका ग्रंथ की एक कमी को भी पूरा करती है। प्रखत ग्रंथ में भगवान् बुद्ध का जीवनचरित, उनकी शिक्षा, उसका विस्तार, विभिन्न निकायों की उत्पत्ति तथा विकास, महायान की उत्पत्ति तथा उसकी साधना, स्थविरवाद का समाधिमार्ग तथा प्रशामार्ग, कर्मवाद, निर्वाण, अनात्मवाद, अनीश्वरवाद, क्षणभंगवाद, बौद्ध साहित्य (पालि तथा संस्कृत ) के विविध दर्शन–सर्वास्तिवाद, सौत्रान्तिकवाद, विज्ञानवाद तथा माध्यमिक तथा बौद्ध-न्याय का सविस्तर वर्णन है। मैंने इस ग्रंथ की रचना में यथासंभव मौलिक ग्रंथों का प्राश्रय लिया है। प्रत्येक दर्शन के लिए कुछ मुख्य ग्रंथ चुन लिए गए हैं। और उनका संक्षेप देकर उसके मूल सिद्धान्त बताने की चेष्टा की गई है। यह प्रकार मुझको पसन्द है। आशा है पाठक भी इस प्रकार को पसन्द करेंगे । सुहृद्बर कविराज जी का सुझाव था कि मंथ के अन्त में पारिमाषिक शब्दों का एक कोश दिया जाय। इससे ग्रंय की उपादेयता बहुत बढ़ गई है। मैं बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् का भी कृतज्ञ हूँ कि उन्होंने इस प्रथ को प्रकाशित करना स्वीकार किया । मैं समझता हूँ कि यह ग्रंथ युनिवर्सिटी के विद्याथियों के लिए विशेष रूप से उपयोगी सिद्ध होगा। ३१-१२-५५ नरेन्द्र देव Canin Chandra SP I Library 2395 1052: