रस मे फीकापन कब आता है १०७ नाती हैं, पोते हैं, परपोता हुअा, सोने की सीढी चढ़े, बडभागियों की लिस्ट में अपना भी नाम दर्ज कराये हुये हैं । आज इसकी मँगनी है, कल उसका ब्याह है, लड़की के लड़का हुआ, रोचना अाया, अन्ना सजाने की फिकिर हुई, मोहमयी प्रमाद मदिरा के पान से उन्मत्त यह जीर्णजरद्गव सौभाग्य की ग्रीमा माने हुये है, अकस्मात् एक ऐसी हवा बही कि एम-एक कर कुनबा छीजने लगा, दो-चार तरपर ऐसी गमी हुई कि बड़भागी बनने का सब नशा उतर गया, जीवन अपाढ़ समझने लगे। हमारे वाइसराय गवर्नर जेनरल साहव महाराणी के प्रतिनिधि कुल स्याह सुफेद के मालिक जहाँ जाते हैं, लोग हाथों-हाथ लेते हैं। बडी अच्छी कमाई कमा रक्खी है, जिसका फल इस जन्म में भोग रहे हैं । हिन्दुस्तान ऐसे शैतान की ओत से देश का शासन जिसमे सैकड़ों जुदे-जुदे कौम के लोग बसते हैं, किसी बात में जरा चूके, लेव-देव कर ली गई, अखवार वालों को जीट उड़ाने का मौका मिला । हिन्दुस्ता- नियों का किसी बात मे पक्ष किया, सिविलियनों, के चेले पायोनियर ने गुर्राना शुरू किया, उधर निलाइत वाले जुदा ही चाप चढ़ाये हुए हैं, उनके मन की नहीं करते, नालायक समझे जाते हैं । ऐसी-ऐसी कितनी झंझटे उनके लिये तैयार रहती हैं। तब क्योकर कहा जा सकता है कि उनका जीवन सर्वथा नीरस नहीं है। हमने समझा था, एडिटरी का काम सब से श्राराम और स्वच्छन्दता का है, समय पर पत्र निकाल निद्वन्द हो नैठे रहे । समाज में मान और प्रतिष्ठा के अधिकारी गवर्नमेंट के बड़े-बड़े राजनैतिक विचारों में राय देने को पांच सवारों में एक हम भी। एडिटरी का झोंक में कभी को ऍडी-बड़ी कोई बात लिख मारी, जो सरकारी कानून के खिलाफ पड़ी, या गवर्नमेंट के कर्मचारी हाकिमों की पालिसी उससे दूषित होती है, रिपीट हुई, मैजिस्ट्रट साहब ने तलब किया। उस
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