पृष्ठ:भट्ट-निबन्धावली.djvu/३८

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भट्ट-निवन्धावली "शरा के बाब में इम को तो कुछ कलाम नहीं , शराब यार पिलावै तो कुछ हराम नहीं।" इत्यादि, सैकड़ों महावाक्य प्रमाण के लिये कहो लर बाँध दें, जिस लर को तुम्हारे परदादा भी आकर तोडा चाहे तो न टूटेगी तब तुम्हें आगा पीछा करने की जरूरत अब क्या है जब तक . बेतकल्लुफी न हुई तव तक दोस्ती क्या! वेगम साहबा कहती हैं खुदा कसम यही जी चाहता है तुम्हें । ऑख की अोट न करें जब तक नहीं देखती जी उकताया करता है हम से दया कुसूर बन पड़ा जो नाप कई दिनों से नहीं पाये ? यह निठुराई कहाँ सीखा १ हे मेरे कन्हैया मैं तो अपना धन प्रान जीवन सब तुम्हें सौंप चुकी, तुम्हारे अधीन चतुर चूडामणि तुम खुद सयाने हो मैं तुम्हें क्या सिखाऊँ उस दिन श्रापने पांच सौ रुपये दिये थे पर . अम्मा कहती हैं उतने में छागल तैयार न होगी (हँसकर अम्मा नाहक उकताती हैं आपकी सखावत का ख्याल किया जाय तो पांच सौ क्या पांच हजार कुछ बड़ी बात नहीं है वहनी गगा में अब न हाथ धोनोगे तो दूसरा वख्त कौन स होगा। । । सनातनधर्म वाले उपदेश देते हैं बाप दादा की लीक पीटते जाओ, यही सम्पूर्ण वेदशास्त्र का निचोड़ है हिन्दूधर्म का सरांश है। हमारा उपदेश है बाप दादा को लीस पीटने के बराबर कोई दूसग पाप ही नहीं है, बाप दादानों की कम अकाली पर तुम्हें घिन न हुई, तो तुम्हारे पढ़ने-लिखने पर लानत है। उनकी ली का मेटना की । म्हापुण्य है, मपूती है, गहयूदी और जनामर्दी है, हिन्दुस्तान को , . सम्पता शिखर पर रख देने का सुगम उपाय है। यद समानार्म . नहीं वरन् प्रचलित गदयों को मला काम समम उमको नारी साने के लिये टट्टी की प्रारग शिकार है। बामणों के लिये छोटे . को नयों को अपने चंगुल में मने का सहज लटका है। हिन्दूमाति