विश्वास उद्यम में यथोचित कृतकार्य नहीं करता। ' इन दिनो झूठा विश्वास. Falsa helnet चल पड़ा है, सभ्य , समाज वाले अपढ़ मूरों को किसी धम-सम्बन्धी कार्य में लगे हुये देख उनके विश्वास को फॉल्स बिलीफ कह उन्हें हसते हैं, पर हम कहते हैं, विश्वास ऐसी चीज है कि वह झूठा हो ही नहीं सकता। जिन्हें विश्वास हुई नहीं उनसे उनका झूठा विश्वास भी भला, वल्कि यों कहिये जिस पर जिसका विश्वास जम गया उसको वह विश्वास ही तदाकार हो भावनानुकूल फल देता है । इसी से कहा है विश्वासः फल दायका । जो कुछ हो अब इस समय हम देखते हैं तो विश्वास की जड़ बहुत कट रही है, जिसका परिणाम सोचते हैं तो बड़ा भयकर जान पड़ता है। आस्तिक्य बुद्धि, ईश्वर में प्रीति यह सब बातें बड़े कल्याण की हैं, न जानिये क्यों हमारे सुसभ्यों को इधर से अरुचि है; बड़े लोग हैं कुछ समझे होंगे; हम अपनी ओछी अल्प बुद्धि को कहाँ तक पछताये जो जेठऊ तरबूज से उनके भारी और पैने दिमाग के साथ नहीं मिल बजती। जनवरी १८६६ कहियार हो भावनानुकूल हो अब इस परिणाम सोच
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