8.-नीयत ____ नीनत अजीब चीज है और आदमियों के तमाम कापों मे अच्छा या बुरा करार दिये जाने की एक ही सौटी है। कोई काम जिसका परिणाम बुरा से बुरा है बुरा नहीं कहा जायगा, अगर उस काम को करनेवाले की बुरी नीयत से नहीं किया गया तो उसका यश करने वाले को नहीं मिल सकता | जितने काम संसार मे किये जाते है, जानबूझकर किये गये हों या भूल से किये गये हों या उस हालत में किये गये हो जब कि श्रादमी अपने होश या काबू में नहीं है, सर अवस्था मे गुण या दोष की डिगरी की नियमक नीयत ही है । घिनौने से घिनौना काम बन पड़ा हो पर नीयत उसके करने की न पाई जाती हो तो उस काम के करनेवाले को दोषी न कहेंगे । इसी तरह पर भले काम का करनेवाला भी नीयत ही से भला कहा जा सकता है। इसीलिये सीधे-सच्चे मनुष्य का काम सदा अच्छा और प्रशसा के लायक होता है । अच्छे प्रादे श्रच्छी नीयत से जो उसने किया है तो उसको अपने काम मे सरसब्जी मां भरपूर होते देखी गई है। इसी तरह कुटिल मनुष्य जिसका काम कुटिल इरादे से किया गया है उसमें कामयावो बहुत कम होते देखी जाती है। इस कारण नीयत मनुष्य के मतरूप तख्त-ताऊस पर सुशोभित उसके बारी कामों में जगमगाती ज्याति के साथ प्रकाशमान रहती है। नीयत फलती है। नीयत की बरकत--सत्य की सेंधा लक्ष्मी फिर मिलेगी श्राय इत्यादि कहावतों से मालूम होता। ये उन अगाध. बुदि गम्भाराशय लोगों के सिद्धान्त हैं जिन्होने ससार में मनुष्य के चित्तो को खून पहाया या ममझा है । लाखों का काम चल रहा था।