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पृष्ठ:भट्ट-निबन्धावली.djvu/९२

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७८ . भट्ट-निबन्धावली जाती है, उसी तरह मृत्यु भी बिना दुन्दुभी बजाये हौले-हौले प्राकृतिक जीवी प्राणी के पास आती है। ____ वाह ! ईश्वर की कैसी कृपा और चतुराई इस जनन-मरण व्यापार में झलकती है ! और धन्य है वे जो इस कृपा के पात्र हैं। । जनवरी १८