पृष्ठ:भट्ट निबंधावली भाग 2.djvu/११७

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२६-नई वस्तु की खोज

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मनुष्य मे नई नई बातों के सुनने की, नये नये दृश्य देखने की, नई नई बात सीखने की सदा लालसा रहती है । इन नई नई वस्तुओं की खोज परिपक्क बुद्धि के हो जाने पर उपजती हो सो नहीं किन्तु लड़कपने ही से जब हम अत्यन्त सुकुमार मति रहते हैं तभी से इसका अंकुर चित्त में जमने लगता है। कोई लड़का कितना ही खेलवाड़ी और आवारा हो या किसी नीचे से नीचा काम में क्यों न लगा हो उसमे भी "उसको नये रास्ते की खोज अवश्य होगी। हमने देखा है जो लोग दिन भर कोई फाइदे का लाभदायक काम नहीं करते बरन् खेल ही कूद मे समय गाते हैं उनको भी जिस दिन कोई नया तरीका खेलने या दिल बहलाने का मिल जाता है उस दिन उनकी भी खुशी का हाल न पूछिये । परन्तु विचार कर देखिये तो निरे खेल ही कूद में दिन काटना मनुष्यत्व और मनुष्य शब्द के अर्थ पर आक्षेप करना है। क्योंकि हमारे यहाँ के पूर्व कालिक विद्वानों में आदमी का पर्याय मनुष्य जो रक्खा है वह यही देख कर कि आदमी अपनी भली बुरी दशा सोच सकता है। उसके चारो ओर जो संसार के प्राकृतिक कार्य हो रहे हैं उनका भेद ले रहा है; उनकी असलियत दरयाफ्त करना चाहता है; नित नई नई विद्या और विज्ञान को वृद्धि करता जाता है। अपनी ज़िन्दगी को मज़ेदार करने की ज़रूरियात पैदा करता जाता; और अपने सोचने की शक्ति के वल उन जरूरियात को पूरा कर अपने जीवन को श्राराम और सुख देने का ढग भी बढ़ाता जाता है। आज जो सैकड़ों तरीके आराम पहुँचाने के हम लोगों को मालूम है पहले के लोगों को केवलं वे मालूम ही नहीं ये वरन् स्वप्न में भी उनके ध्यान में कभी नहीं