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पृष्ठ:भट्ट निबंधावली भाग 2.djvu/१२३

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कौतुक 3 वितर्क होने लगा कि क्यों यह फल नीचे गिरा ऊपर को क्यों न चला गया या कोई दूसरी बात इस फल के सम्बन्ध मे क्यो न पैदा हो गई ? बहुत सा ऊहापोह के उपरान्त यही निश्चय उनके मनमे जम गया कि बड़ी चीज़ छोटी चीज़ को सदा अपनी ओर खीचा करती है और यही ऐसी ईश्वरीय-अद्भुत-शक्ति है कि जिसके द्वारा यह उपग्रह तारागण इत्यादि सपूर्ण खगोल अपनी-अपनी कक्षा मे कायम हैं। यदि यह शक्ति न होती तो ये बड़े-बड़े ग्रह एक दूसरे से टकरा कर चूर-चूर हो जाते । इसी तरह भाफ की ताकत प्रगट करने वाले जैम्स वाट को आग पर रक्खे हुये डेग के ढकने को खटखटाते हुये देख आश्चर्य हुआ था जिस का फल यह हुआ कि इसको अद्भुत शक्ति जान कर उन्होंने उसे काम मे लाय अनेक तरह की ऐसी-ऐसी इनजिने ईजाद की कि आज दिन उसके द्वारा संसार का कितना उपकार साधन किया जाता है। भाँति- भौति की कलो के द्वारा जो काम होते हैं रेल और जहाज़ चलाना सब उसी भाफ के गुण प्रगट करने का परिणाम है। ऐसा ही और कितने बड़े-बड़े विद्वान् विज्ञानविद लोगों ने साधारण-सी कौतुक की बातो पर कौतुकी हो बड़े-बड़े काम किये हैं । अस्तु अब हम कौतुक की एक छोटी सी लिस्ट आपको सुनाते हैं उसे मी सुनते चलिये; सरकारी मुहकमों मे पुलिस का मुहकमा कौतुक है। हम लोग भद्दी अकिल हिन्दुस्तानियों के लिये अंग्रेज़ी राज्य की कतर-व्योंत कौतुक है। ऐसा ही बुरी तबियत वाले ऐनलोइण्डियन के लिये हमारा काग्रेस का करना कौतुक है। गवर्नमेंट की कृपापात्र बी उर्दू के मुकाबिले सर्वथा सहाय शून्य हिन्दी का दिन प्रतिदिन बढते जाना भी कौतुक है। हमी लोगों के बीच से पैदा हो हमारे ही छाती का बार उखाड़ने वाली गवर्नमेट की छोटी बहन हमारी म्युनिसिपालिटी एक कौतुक है, इत्यादि । जहाँ तक सोंचते जाइये एक से एक बढ़ कर कौतुक आपके मनमे जगह करता जायगा। श्रक्टूबर; १८८