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पृष्ठ:भट्ट निबंधावली भाग 2.djvu/१२९

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बातचीत ९२९ . गौरव और संजीदगी के लच्छे मे सनी हुई । चार से अधिक की बातचीत तो केवल राम रमौवल कहलायगी उसे 'हम सलाप नहीं कह सकते। इस बातचीत के अनेक भेद हैं । दो बुड्ढों की बातचीत प्रायः ज़माने की शिकायत पर हुआ करती है, बाबा आदम के समय का ऐसा दास्तान शुरू करते हैं जिसमे चार सच तो दस झूठ। एक बार उनकी बातचीत का घोड़ा छुट जाना चाहिये पहरों बीत जाने पर भी अन्त न होगा । प्रायः अग्रेज़ी राज्य पर दंश और पुराने समय की बुरी से बुरी रीति नीति का अनुमोदन और इस समय के सब भाँति लायक नौ जवान की निन्दा उनकी बातचीत का मुख्य प्रकरण होगा। अब इसके विपरीत नौ जवानों की बातचीत का कुछ तज ही निराला है। जोश-उत्साह, नई उमंग, नया हौसिला आदि मुख्य प्रकरण उनकी बातचीत का होगा। पढ़े लिखे हुये तो शेकसेपियर, मिलटन मिल और स्पेन्सर उनके जीभ के आगे नाचा करेंगे अपनी लियाकत के नशे मे चूरंचूर हमचुनी दीगरे नेस्त । अक्खड़ कुश्तीबाज़ हुये तो अपनी पहलवानी और अक्खड़पन की चर्चा छेड़ेगे। आशिक़तन हुये तो अपने अपने प्रेमपात्री की प्रशंसा तथा श्राशिक़तन बनने की हिमाकत की डींग मारेगे। दो ज्ञात-यौवना हम उमर सहेलियो की बातचीत का कुछ जायका ही निराला है रस का समुद्र मानो उमड़ा चला आ रहा है इसका पूरा स्वाद उन्हीं से पूछना चाहिये जिन्हे ऐसों की रससनी बाते सुनने को कभी भाग्य लड़ा है। "प्रजल्पन्मत्पदे लमः कान्तः किं" १ नहि नूपुरः । "वदन्ती जारवृत्तान्तं पत्यौ धूर्ता सखी धिया । पति बुद्ध्वा सखि ततः प्रबुद्धास्मीत्यपूरयत्। अर्द्धजरती बुढ़ियाओं की बातचीत का मुख्य प्रकरण बहू बेटी वाली हुई तो अपनी अपनी बहुओं या बेटों का गिला-शिकवा होगा-या बिरादराने का कोई ऐसा राम-रसरा छेड़ बैठेगी कि बात करते करते.