पृष्ठ:भट्ट निबंधावली भाग 2.djvu/३३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

सभापण छोटे-छोटे क्लब कमेटी और कानग्रेस को कौन गिनने बैठे बिलोइत की पार्लियामेंट महासभा जिसपर ब्रिटिश राज्य का कुल दार-मदार है सफेद डाढी वाले बडे-बड़े राज-मत्रियो के संभाषण ही का निचोड़ है। सुलह या जग देश का अभ्युत्थान या पतन प्रीवी कौसिल मे बडे-बडे मुकद्दमो का वारा-न्यारा सब सम्भाषण ही का परिणाम है। सम्भापण का कुछ अद्भुत क्रम है इसके द्वारा बनती हुई वात को न विगडते देर न बिगड़ी वात के बनने ही मे बिलम्ब- किसी पचाइत में कोई बड़े भारी मामिले का जिकिर पेश है चिरकाल का विरोध वात की बात में ते पाता है पंचाइत मे शरीक लोगो के जी में बरसों की जमी हुई मैल एक दम मे धुल कर साफ हुअा चाहती है इतने में कोई अकिल के कोते कुन्दे नातराश या टूट पडे और दो एक ऐसी वेतुक श्रौखी बौखी अरुन्तुद मर्म की बात बाल उठे कि एक-एक आदमी का जी दुख गया पचाइत उठ गई बनने की कौन कहे जन्म भर के लिये ऐसी गाँठ पड़ी कि सुरझाना कठिन हो गया। हिन्दुस्तान के बल पौरुप श्री कीर्ति सब का अन्तकारी महाभारत का घोर सग्राम केवल द्रोपदी के कटु भाषण ही के कारण हुआ मारीच मृग के उपक्रम में यदि जानकी लक्ष्मण का अपने अरुन्तुट वाक्यो से मर्मताडन न करती तो सीता हरण सा अनर्थ कभी न होता इत्यादि अनेक ऐसे उदाहरण कटु भाषण के इतिहासों में पाये जाते हैं जिनका परिणाम अन्त को मूलच्छेदी ठाकुर से भी अधिक तीखा देखने में पाया है। जो मनुष्य जिनमे क्रोध की आग परस्पर सुलग रही है तृण अग्नि के संयोग समान दोनों के सभा- षण मात्र की कसर उस आग के भभक उठने के लिए रह जाती है उस समय चतुर सयानो का यही काम रहता है कि दोनो की चार आँख होने से उन्हे बचाये रहे और अपना काम भी साध ले "क्यो साप मरै क्यों लाठी टूटै'-अब मृदु भापण के गुणों को लीजिये जिनके एक-एक बोल मे मानो फूल झरता है कोकिला लाप का सहोदर