पृष्ठ:भामिनी विलास.djvu/१२९

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विलासः२]
(१०९)
भाषाटीकासहितः।

इस भूमंडलको किसने देखा है। (इसमें तेरे समान और भी सौन्दर्यमान हैं यह भाव। किसी विरहीकी उक्ति है; मेरी प्रियतमाका मुख त्वत्तुल्य दीप्तिमान है यह ध्वनी, इसमें निकलती है)

नीलांचलेन संवृतमाननमाभाति हरिणनयनायाः।
प्रतिबिंबित इव यमुनागभीरनीरांतरेणांकः॥१०५॥

नीलपट से आच्छादित मृगनयनीका मुख, यमुनाके गंभीर नीरमें प्रतिबिंबित चन्द्रमाके समान शोभायमान है।

स्तनाभोगे पतन् माति कपोलात्कुटिलोऽलकः।
शशांकबिंबतो मेरौ लंबमान इवोरगः॥१०६॥

कुटिल अलक, कपोलसे कुचमंडलके उपर गिर, चन्द्र बिबसे सुमेरुपर्वत पै लंबायमान सर्पके समान शोभा देती है।

यथा लतायाः स्तवकानतायाः स्तनावनभ्रे नितरां समाऽसि।
तथा लता पल्लविनी सगर्वे शोणाधरायाः सदृशी तवाऽपि॥१०७॥

हे स्तनभारनम्रे! जैसे पुष्पगुच्छौंसे नतहुई लताके समान (तू) अत्यंत (नम्र) है, तैसे ही हे सगर्वे! [गर्वसहिते] तेरे अरुण अधरौंके सदृश (नूतन) पल्लववाली लता भीहै (स्तनभारसे विशेष नम्र होनेके कारण मैं नतलताकी उपमान हुई यह समुझ गर्व न कर, पल्लविनी लता भी तेरे अधरौंकी उपमान है यह भाव)

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