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पृष्ठ:भामिनी विलास.djvu/२३

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विलासः१]
(३)
भाषाटीकासहितः।


मत्त पुरुषको नष्ट कार्य करते देख उसकी निंदा करने को यह अच्छी अन्योक्ति है)।

[]तृष्णालोलविलोचने कलयति प्राचीं चकोरीगणे। मौनं मुंचति किंच कैरवकुले कामे धनुर्धन्वति॥ माने मानवतीजनस्य सपदि प्रस्थानकामेऽधुना। धातः किंतु विधौ विधातुमुचितो धाराधराडम्बरः४॥

चंद्रदर्शन की लालसा से चंचल नेत्र वाली चकोरी जिस समय पूर्व दिशा की ओर देखरही हैं, चंद्रविकासी कमल खिल रहे हैं, भगवान् पंचशर अपने धनुष की प्रत्यंचा को चढ़ा रहे हैं और मानवती स्त्रियों के मान छुट रहे हैं उस समय ऐसे कार्य होते देख हे विधे चंद्रमापर मेघाच्छादन करना क्या तुझे उचितहै? (कार्य सुफल होते समय यदि कोई विघ्न करै तो उसकी दुष्टता इस अन्योक्ति से सूचित करना चाहिये)॥

[]अयि दलदरविन्द स्यन्दमानं मरन्दं।
तव किमपि लिहंतो मंजु गुंजंतु भृंगाः॥
दिशिदिशि निरपेक्षस्तावकीनं विवृण्वन्।
परिमलमयमन्यो बान्धवो गन्धवाहः॥५॥

हे प्रफुल्लित कमल! तेरे गिरे हुए पराग को ग्रहण करके


  1. शार्दूल विक्रीड़ित छंद है।
  2. मालिनी छंद है।