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पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास.djvu/१०७

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मलकाही अपने हाथ से खाना बनाती और खिलाती थी। बादशाह अपने हाथ से किताबें लिखता और उनके बेचने से जो धन पाता उससे अपनी जीविकानिर्बाह करता था।

नासिरूद्दिन।

एक बार एक दर्बारी बादशाह के पास गया। बादशाह के पास उन्हीं की लिखी किताब रक्खी थी। दर्बारी किताब उठाकर उसकी अशुद्धियां दिखाने लगा। आप भी लेखनी उठाकर जिस तरह वह कहता गया बनाते गये। परन्तु जब वह चला गया तब उसकी काटी हुई अशुद्धियां फिर ज्यों की त्यों कर दी। किसी ने पूछा जहांपनाह यह क्या बात है। आपने कहा कि बास्तव में अशुद्धियां नहीं थीं। परन्तु जो मनुष्य मुझपर इतनी कृपा करे कि मेरी अशुद्धियां मुझे चेता दे, उसका मान रखना उचित है। मैंने इसी बिचार से उसके कहने पर किताब काट दी थी। और जब वह चला गया तो फिर ठीक कर दी।

१२—नासिरुद्दीन के मरने के पीछे उसका मन्त्री ग़यासुद्दीन बलबन राज का मालिक हुआ। लड़कपन में यह दास था। परन्तु उच्च कुल का था। अलतमश ने इसे मोल ले लिया था। अपनी बुद्धिमानी से इसकी प्रतिष्ठा बढ़ती रही और इसको ऊंचे पद मिलते गये और अन्त को एक सूबे का हाकिम हो गया और अलतमश ने अपनी बेटी उसे ब्याह दी। इन पदवियों के पाने से पहिले यह उन चालीस दासों में से था जिन्हों ने आपुस में यह प्रतिज्ञा कर ली थी कि जन्मभर एक दूसरे के मित्र और सहायक