सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास.djvu/१६१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
[१५३]


बिहार से चला और आगरा और दिल्ली जीतता हुआ लाहौर की ओर बढ़ा। बैरम खां उसके सम्मुख आया। पानीपत पर घमसान युद्ध हुआ, हेमू बीरता के साथ लड़ा परन्तु उसकी सेना हार गई। हेमू घायल हुआ और क़ैद करके अकबर के सम्मुख लाया गया। बैरम खां ने अकबर से कहा कि इसका सिर अपनी तलवार से आप अलग कर दीजिये परन्तु अकबर ने उस दुर्बल और घायल बैरी पर हाथ चलाना ठीक न समझा तब बैरम खां ने उसको अपने हाथ से मारा। इसके पीछे पांच बरस तक बैरम खां ने बड़ी सावधानी और रोब दाब के साथ राज काज किया।

३—इस समय मोग़ल राज में केवल दिल्ली और पंजाब के देश थे। बंगाल, बिहार, जौनपूर, सिन्ध, गुजरात, मालवा और खानदेश में पठानों को जबरदस्त रियासतें थीं; राजपूताने में राजपूत राज करते थे।

बैरम खां।

४—अब अकबर की आयु अठारह बरस की थी। बैरम खां के कठोर व्यवहार से वह, उसकी मां, और सारे कम उमर दरबारी चिढ़े हुए थे।सब ने अकबर को यही सम्मति दी कि अब आप राज काज अपने हाथ में ले लें। बैरम खां इस बात पर राज़ी न था परन्तु बादशाह बिचार का पक्का था और अन्त में बैरम को आधीनता स्वीकार करनी पड़ी। बैरम खां मन में जल रहा था। इस कारण कुछ दिनों में उसने कुछ सेना इकट्ठी कर ली और पंजाब पर चढ़ाई कर दी। अकबर की आयु कम थी परन्तु बैरम खां के सम्मुख आपही पहुंचा। बैरम खां पराजित हुआ और