बहुत पहिले यह लोग उतरे थे और पूर्व-उत्तर के उन प्रान्तों में भर गये जो अब आसाम और बङ्गाले के नाम से प्रसिद्ध हैं। यह लोग उन पहाड़ी रास्तों से आये थे जिनमें से होकर ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियां भारत में प्रवेश करती हैं। यह लोग कोलों और द्रविड़ों से अधिक बली और लड़ाके थे। मङ्गोल पहिले कोलों और द्रविड़ों से लड़े पर कुछ दिन पीछे धीरे धीरे उन्हीं में मिलजुल गये। बहुत दिनों से भारतवर्ष में रहने और दूसरी जातियों से मिल जाने से इनके रूप रंग में बड़ा भेद पड़ गया है फिर भी इन प्रान्तों के रहनेवालों के रूप रंग डील डौल के देखने से स्पष्ट जान पड़ता है कि इनके पुरखा कौन थे।
३—कोल और द्रविड़ तो इस देश में पहिले से बसे थे और तूरानी उस समय में आये जब प्रामाणिक इतिहास की नेंव भी न पड़ी थी, और न जिसका कोई पता लगता है। इससे उचित यह जान पड़ता है कि आर्यों के आने से पहिले के समय को ऐतिहासिक समय से पहिले का काल कहैं। इस समय का ठीक अनुमान नहीं हो सकता। गोल गोल इतना कह सकते हैं कि ईसा के जन्म से २००० बरस पहिले तक इसकी सीमा है।
१—सब से प्राचीन ग्रन्थ जिसमें हिन्दुस्थान के पुराने रहनेवालों का ब्यौरा मिलता है वेद है। इसके पढ़ने से जाना जाता है कि अब से अनुमान ४००० बरस पहिले भारतवर्ष के उत्तर और पश्चिम के भाग में जिसे अब पंजाब कहते हैं कुछ ऐसी जातियां बसी थीं जिनका रंग गोरा और डील लम्बा था। यह लोग अपने को आर्य कहते थे।