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पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास.djvu/४४

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१०—हम कह नहीं सकते कि जातियों के अलग होने में कितना समय बीता। केवल इतना जानते हैं कि मनु जी के समय से पहिले यह रीति भलीभांति प्रचलित हो चुकी थी। मनु जी ने आचार व्यवहार (धर्म्मशास्त्र) का संग्रह इस समय के अन्त में किया था। यह संग्रह ईसा के जन्म से लगभग ५०० बरस पहिले हुआ था। इस धर्म्मशास्त्र में जातियों का बिस्तारपूर्वक वर्णन है। मनु जी ने हिन्दुओं के चार वर्ण लिखे हैं—ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र; पर यह भी कहते हैं कि जो शूद्र जातियां वर्णों के संकर (गड़बड़) होने से बनी थीं उनकी संख्या बहुत थी।

यह ८०० बरस का समय ईसा के जन्म से १००० बरस पहिले से २०० बरस पहिले तक ब्राह्मणों का समय कहा जा सकता है क्योंकि इसमें ब्राह्मणों का अधिकार बहुत था।

(२) प्राचीन हिन्दू राज।

(ईसा से पहिले १००० बरस से २०० बरस तक।)

१—प्राचीन आर्य सर्दार अपने अपने परिवारों को संग लिये हुए उत्तरीय भारत की बड़ी बड़ी नदियों के बराबर बराबर बढ़े और उनकी उपजाऊ तरेटियों पर अपना अधिकार जमा लिया। वेदों के समय में वह सिन्धु नदी की तरेटी में रहे। उसके पीछे गंगा और यमुना की उत्तरीय तरेटियों में पांच बड़े बड़े नगर और राज्य स्थापित किये, फिर उन नदियों के बराबर बराबर चले जो उत्तर की दिशा में हिमालय से और दक्षिण में विन्ध्याचल से निकल कर गंगा जी में मिली हैं और अन्त में महानदी, गोदावरी और दूसरी दखिन की नदियों के किनारे किनारे बस गये।

२—प्राचीन काल में हिन्दुओं के बहुत बड़े बड़े राज थे। प्रायः