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पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/१३६

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- रामायण और महाभारतके समयकी सभ्यता १०७ तीसरा-सीमन्तोन्नय संस्कार। यह गर्म-स्थापनासे पांचवें छठे मास पश्चात किया जाता है। चौथा-जातफर्म, अर्थात् उत्पत्तिका संस्कार। पांचवां-नामकरण अर्थात् नाम रखनेका संस्कार । छठा-निष्कमण, अर्थात मकानके यदलनेका संस्कार । सातवां-अन्नप्राशन, अर्थात् बालकको सबसे पहले अन्न खिलानेका संस्कार पाठयांच्डाकर्म, अर्थात् सिर मुडानेका संस्कार । नवां-कर्ण-वेध संस्कार, अर्थात् कानों में छेद करनेकी प्रक्रिया। दसवां-उपनयन संस्कार, अर्थात् यज्ञोपवीत या जनेऊ . पहनानेकी प्रक्रिया। ग्यारहवां-वेदारम संस्कार, अर्थात् वेदको आरम्भ करा- नेका अनुष्ठान । पारदया-समावर्तन संस्कार, अर्थात् विद्याकी समाप्तिपर गुरुके थाथमसे वापस आनेकी प्रक्रिया। तेरहवां-विवाह संस्कार। चौदहवां-गृहस्थाश्रम, अर्थात् गृहस्य बननेका संस्कार । पन्द्रहवां-बानमस्य, अर्थात् संसार छोड़कर घनमें जानेका संस्कार। सोलहवां-सन्यास, अर्थात् तप करनेके पश्चात् सन्यासी यननेका संस्कार। सत्रहवां-मृतक संस्कार, अर्थात् शवको जलानेकी प्रक्रिया। नोट-वास्तवमें उपनयन और घेदारम्भ संस्कार एक ही है। शिक्षा। इस कालकी शिक्षा-प्रणालीके विपयमें निश्चयात्मक रूपसे कोई सम्मति बनाना