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पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/१५८

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१२८ भारतवर्षका इतिहास मलाया प्रायद्वीप और लङ्काके नाम दीपवंश और महावंशमें मिलते हैं। अशोकके जो लेख पहाड़ों और लाटोंपर खुदे हुए मिलते हैं उनसे सिद्ध होता है कि उसने दूर दूरके देशोंमें उपदेशक भेजे थे। इन देशोंमें पांच यूनामी राज्य भी थे अर्थात् एशियाई रूमके अन्तर्गत शाम देश, मिस्र, यूनान राज्यके अन्तर्गत मकदूनिया, साईरीन (Cyrine) और ऐपीरोस ( Epiros)। उत्तरीय प्रान्तोंमें काश्मीर-नरेश कनिष्कने बौद्ध धर्मका प्रचार कराया। काश्मीरसे इस धर्मको पुस्तकें चीनमें पहुंची। चीनसे कोरियामें और कोरियासे जापानमें यह धर्म गया। ईसाकी चौथीले पांचवी शताब्दी में इस धर्मने चीनसे कोचीन, फारमोजा, मङ्गोलिया और अधिक सम्भव है कि सायबेरियामें भी अपना अधिकार जमाया। इस प्रकार यह कावुल और काश्मीरसे यलख, युवारा और तुर्किस्तानमें पहुंचा। इसी प्रकार तिब्बत और नेपालमें भी यह छठी या सातवीं शताब्दी में फैला। सारांश यह कि एक सहस्र वर्षके अन्दर यौद्ध धर्म भारतके मध्यमें जन्म लेकर ( अरबके सिवा) लगभग समस्त एशियाका सामान्य धर्म हो गया। परन्तु भारतमें बुद्ध-धर्मका कभी विशेष अधिकार नहीं हुआ। देशके समस्त भागोंमें प्राप्लेण- धर्म पूर्ववत् प्रचलित रहा। यद्यपि राजनीतिक यलले कई शता. न्दियोंतक युद्ध-धर्मका पलड़ा भारी रहा, परन्तु अन्तको ईसा. की छठी शताब्दीमें, जय यह धर्म अभी विदेशों में पल ही रहा था, इसके जन्म स्थानमें इसको ऐसा धका लगा कि इसका अधःपतन प्रारम्भ हो गया, और शनैः शनैः सारे आर्यावर्तमें हिमालयसे फुमारी अन्तरीपतक और वगालकी खाड़ोसे अरब सागरतक यह नाममात्रको ही रह गया। 1 "

  • इण्टरको 'इण्डियन एम्पायर" पृष्ठ १९