मारतवर्षका इतिहास १३२ हिन्दू धम्मपर हिन्दू धर्म पर युद्ध-धर्म की अपेक्षा जैन- धर्मका अधिक प्रभाव पड़ा है और भारतमें प्रभाव। यौद्धोंकी अपेक्षा जैनोंकी संख्या बहुत अधिक है। मेरी सम्मतिमें बौद्ध-धर्म और जन-धर्मका सामान्य प्रभाव भारतके राजनीतिक अधःपातका एफ कारण हुआ है। जनतामें संसारकी असारताफा विचार-जिसको शङ्करके वेदांत- ने भारी सहायता दी-इतना फैल गया कि चे स्वदेश-रक्षासे बिलकुल असावधान हो गये। त्यागका तत्वज्ञान वहींतक उप- योगी है जहांतक वह भोगकी उचित सीमाका उल्लंघन न करने दे। स्वयं त्यागको राजसिंहासनपर बैठाना और उसको मनुष्य का धर्म बना देना भारी भूल है। संसार भोगका स्थान है । उसका भोग उतना ही उचित है जिससे मनुष्य भोगका दास ने बन जाय और जिससे दूसरों के स्वत्वोंमें हस्तक्षेप न होता हो। सर्वोत्तम नीति यह है जो न भोगको . और न त्यागको अपना आदर्श बनावे, और मध्यवती मार्गका अवलम्बन करे । इस दृष्टिसे महात्मा बुद्धकी प्रारम्भिक शिक्षा अधिक प्राह्य और महत्वपूर्ण थी।
पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/१६२
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