मौर्य वंश-सम्राट चन्द्रगुप्त. 'सिकन्दर जून सन् ३२३ ई० पू० में बेबीलोनियामें 'मरा। उसको मृत्युके पहले उसको अपने राज प्रतिनिधि फिलेपत्तके वधका समाचार पहुंच चुका था। सिकंदरले फिलेपसके स्थानमें अपनी यूनानी सेनाके सेनापति योडीमोसको नियत किया। योडीमोस सिन्ध नदीकी उपत्यकामें सन् ३१७ ई० पू० तक रहा, और तत्पश्चात् १२० हाथी (जो उसने मिन राजा पोरसका छलसे वधकरके प्राप्त किये थे ) लेकर चल दिया। पक्षावके उत्तर पश्चिममें यूनानी प्रभुत्वका यह अन्तिम चिह था। यद्यपि इस वातका हमारे पास कोई प्रमाण नहीं कि सन् ३२३ ई० पू० से लेकर सन् ३१७ ई० पू० तक योडीमोसने किस प्रकारके अधिकारोंका पञ्जाबमें उपयोग किया। सिकन्दर चलते समय सिन्ध प्रान्त अपने राज प्रतिनिधि पाई हतोनके सिपुर्द कर गया था, परन्तु जप सन् ३२१ ई० पू० में यूनान राज्यकीयांट हुई तब एएटो पेटरने सिन्धको यूनानके अधिष्ठान देशों में नहीं गिना । वास्तवमें सिन्धुके दोनों किनारों, पर यूनानी शासनको समाप्ति सन् ३२२ ई० पू० में ही हो गई थी। यूनानी शासनके उन्मूलन में चन्द्रगुप्तने अपने मन्त्री चाणि क्यके परामर्शसे यहुन काम फिया । उसने अन्तिम नन्दको गद्दीसे उतार दिया और आप उसके स्थानमें सिहासम्पर बैठ गया। चन्द्रगुप्तने उत्तर और दक्षिणकी योर हिमालयसे लेकर नर्मदा तक और पूर्व और पश्चिमकी ओर बडालको पाडीसे लेकर भरव सागर तक समस्त आर्यावर्तको जीत लिया। ऐतिहासिक कालमें चन्द्रगुप्त पहला हिन्दू राजा है जिसने इतने बड़े प्रदेशको अपने राज्यमें मिलाया। इस बीचमें, जब कि चन्द्रगुप्त देशोंको जीतनेमे निरत था, सीरियाका यूनानी राजा सेलूकप्त सन् ३०५० ३० में भूतपूर्व .
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