भारतवर्षका इतिहास कारियों की रीपोर्ट सुनता था। दूसरे भागमें वह स्नान, संध्या करके खाना खाता था। फिर तीसरे, चौथे और पांचवें भागों सोता था, छठे भागमें उठकर फिर चिन्तन करता था। सातवें भागमें सरकारी कागजोंको पढ़ता और अपने गुप्त कर्मचारियोंके नाम भाशायें निकालता था। इसके पश्चात् आठ भागमें प्रात:- पाल उठकर विशेष राजसभा (दीवान खास ) में जाता था। घहां यह अपने गुरु, राजसभाके ब्राह्मण, कौंसिलके सदस्यों और राजकुमारोंसे मिलता,था। फिर कुछ धार्मिक अनुष्ठान करता . था। 1 यह विश्वास करना कठिन है कि प्रत्येक हिन्दू नृपति इन आशामोंका पूर्णरूपले पालन करता था। परन्तु शास्त्रकारने उनके लिये यह आदर्श नियत किया था; और यह माननेके लिये हेतु है कि चन्द्रगुप्त दिनमें बिलकुल न सोता था और रात दिन राज्यके काम काजमें मन रहता था ।अन्यथा चौबीस वर्षके यल्पकालमें इतने देशोंको जीतना और राज्यकी व्यवस्था ऐसे दृढ़ आधारपर रख देना उसके लिये असम्भव था। शासकार यह भी लिखता है कि पुलिस विभागका यह भी कर्तव्य धा कि यह राजाको लोकमतकी सूचना और भिन्न मिन विभागोंकी कार्यवाहीका समाचार देता रहे। राजाको अपने विषयमें टीका-टिप्पणो सुननेका अवसर भी इन रिपोटोसे मिलता था, क्योंकि उस कालमें नियमपूर्वक समाचार-पत्र न थे। विभागों और सरकारी अर्थ-शारत्रमें अठारह सरकारी विभागोंका वर्णन है, और बड़े बड़े कर्मचारियों के कर्मचारियोंकी लम्बी लम्बी सूचियां दी गई है। इनमें कंचुको अर्थात् अंत:- पुरका अध्यक्ष (चेम्बरलेन ), कलेकृर, जनरल, अर्कोटेएट जन- वेतन!
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