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पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/१९८

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भारतवर्षका इतिहास जहां सम्भव होता था यहां दुर्भिक्ष प्रजाको नदियों, झीलों और समुद्रके तटपर पहुंचा दिया जाता था, या ऐसे स्थानोंपर भेज दिया जाता था जहां भोजन मिल सके। यह संक्षिप्त वर्णन (जिसमें हमने सैनिक प्रयन्धका उल्लेख नहीं किया ) उस राज्य-पद्धतिका है जिसका वर्णन कौटिल्यने अपने अ-शास्त्र- में किया है और जिस विषयमें इतिहास लेखकोंका विश्वास है कि चन्द्रगुप्त के पायमें उसके अनुसार एक बहुत अंशतक कार्य होता था। मतकी बहुत कुछ पुष्टि यूनानी पर्यटकों के भ्रमण-वृत्तान्तोंसे होती है। और यह चित्र है उस सभ्यताका जो आजसे पाईस सौ वर्ष पहले भारतमें फैली हुई थी। चौथा पारच्छेद महाराजा बिन्दुसार और महाराजा अशोकका राजत्वकाल । चन्द्रगुप्तका देहान्त ईसाके २६८ वर्ष पहले हुआ और उस- की गद्दीपर उसका पुत्र विन्दुसार बैठा। बिन्दुसार अपने शासन-कालमें दश्विनको अपने पिताके साम्राज्यमें मिलानेके सिवा और कोई ऐसे काम नहीं किये जो उसके गौरवको. यढ़ानेवाले हों। परन्तु यह भी निश्चयपूर्वक नहीं कहा जा सकता कि दयिनको चन्द्रगुप्तने अपनी मृत्युसे पहले विजय कर लिया था या यिन्दुसारने उसके देहान्तके पीछे किया । यदि 1 .पर पट २९६