पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/२०१

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, महाराजा विन्दुसार और महाराजा अशोकका राजत्वकाल १७१ नगर गिना जाता था। उन्जन भारतका प्रीनिच था। यहांका विश्वविद्यालय गणित और ज्योतिपके लिये विशेषरूपसे प्रसिद्ध था। यहां प्राचीन आर्या स्थिर और गतिमान नक्षत्रों और लोकोंका अवलोकन करते थे। ऐसा जान पड़ता है कि उन दोनों प्रान्तोंके प्रयन्धमें अशोकने इतनी योग्यताका परिचय दिया और ऐसा नाम पाया कि उसके पिताने अपने ज्येष्ठ पुत्रको अलग करके अशोकवर्धनको अपना युवराज पनाया। भशोकफे विषयमें एफ यह कथा प्रसिद्ध माई बहनोंके वध: किसने अपने निशानवे बहन-भाइयोंका की मूठी कथां। वध किया। विंसेंट स्मिथ इस कथाफो सर्पथा असत्य और फल्पित बताता है। दूसरे किसी इतिहास लेसकने भी इसपर विश्वास नहीं किया। वरन् इस यातफा प्रमाण मौजूद है कि उसके राजत्वफालके सत्रहवें या अठारहवें वर्षमै उसके भाई बहन जीवित थे। अपने परिवारोंकी घह विशेष रूपसे सेवा और सम्मान करता था। उसके फई भाइयों और यहोंने प्रचारफे फाममें भाग लिया। अशोफने अपने शासनकालमें फेवल एक अशोककी सैनिक हो चढ़ाई फी, अर्थात उसने कलिङ्ग देशको जीतें, कलिङ्ग-जीतकर अपने राज्यमें मिला लिया। इस अभि- विजय । यानमें मृत्यु भीर विपत्तिफे जो दृश्य उसने देने, उन्होंने उसके हश्यफे मीतरीभावोंपर ऐसा प्रभाव डाला कि उसने भविष्यमें धावा करनेके विरुद्ध शपय ले ली। कहा जाता है कि फलिङ्गकी चढ़ाई में एक लाख मनुप्य मारे गये, डेढ़ लाप पकड़े गये और इनसे कई गुना दुर्मिक्ष और महामारीके शिकार हुए। यद दृश्य देपफर और उसके वृत्तान्त सुनकर मशोकके हृदयपर भारी चोट लगी, और उसने अपनी शेष सारी भायुको .