पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/२१२

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भारतवर्षका इतिहास अशोकके बनवाये स्तम्भों आदिपर उन वे देश जहां उसने देशोंका उल्लेख है जहाँ महाराज अशोकने धर्म प्रचारक अपने धर्मा-प्रचारक मेजे। अपने अधिकृत देशों तथा अपने राज्यकी सीमापर बसनेवाली जातियोंके अतिरिक्त उसने अपने धर्म प्रचारक दक्षिणी भारतके स्वतन्त्र राज्यों में और लङ्कामें भेजे । मिस्त्र, शाम, सायरीन, मक. दुनिया और एसके राज्यों में भी उसके प्रचारक पहुंचे । अर्थात् उसके धर्म-प्रचारके कामका विस्तार एशिया, अफ्रीका, और यूरोप तीनों महादेशों में हुआ। अधिकृत और माश्रित प्रान्तों और जातियोंमें उसने तिब्बत और हिन्दूकुशके निवासियों, हिमा- लयकी मिन्न भिन्न जातियों, और कावुलकी उपत्यका गान्धार और यवन आदि लोगोंमें घुद्ध-धर्मका प्रचार किया। उसने विन्ध्याचल और पश्चिमीघाटको जंगली जातियोंमें भी इस धर्म- को फैलाया। लङ्काका वृत्तान्त लिखता हुआ एक लेखक कहता है कि संसारमें सभ्यता और धर्म-प्रचारके काम में अशोकके उद्योग बहुत उच्च-कोटिके गिने जाने चाहिये। कुछ मुसल- मान इतिहास-लेखक, ,जिनमें अलबरूनीका नाम विशेषरूपसे उल्लेखनीय है, कहते हैं कि इसलामके आरम्भके समय सारे मध्य एशियामें बौद्ध धर्म फैला हुआ था और ईरान, इराक मजम, रूम और शाम बौद्ध तत्वज्ञान और बौद्ध-धर्मका गहरा प्रभाव था। ईसाई-धर्मकी शिक्षा और रीति-नीतिपर बुद्ध- धर्मका बहुत कुछ प्रभाव पड़ा। इस यातको निष्पक्ष ईसाई विद्वान् भी मानते हैं। सिंहलमें बुद्ध-धर्म-.लामें उसका भाई महेन्द्र गया। उसने वहाँ जाफर यहाँके राजा तिस्साको वुद्ध. का प्रचार धर्मकी दीक्षा दी और युद्ध-धर्मको सारे