पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/२४०

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गुप्तवंशका राज्य विस्तार ? बौद्ध-अन्धकार पसुबन्धुके साथ उसके सम्बन्ध यहुत ही अच्छे थे। समुद्रगुप्तके देहान्तको ठीक तिथि अभीतक निरूपित नहीं हुई। अनुमान किया जाता है कि उसने पचास वर्पतक राज्य. किया। द्वितीय चन्द्रगुप्त जिसको विक्रमा- दित्यका नाम बड़े सम्मान और भारतमें राजा विक्रमा. दित्य भी कहते हैं। प्रेमसे लिया जाता है। विक्रमी सरत् उन्दीके नामसे प्रचलित है। दन्तकथा है कि वि- क्रमादित्य उज्जैनके राजा थे। उन्होंने शक लोगोंको हरा कर ईसासे ५० वर्ष पूर्व अपना सम्बत् प्रचलित किया। जो इतिहास इस समयतक अंगरेज ऐतिहासिकोंने लिखा है उसमें विक्रमादित्यका उल्लेख नहीं परन्तु पुछ ऐतिह्य जो विक्रमादित्यके नामके साथ सम्बद्ध हैं ये गुप्तवंशके तीसरे राजा,चन्द्रगुप्त विक्रमादित्यके राजत्वकालसे सम्बन्ध रखते हैं। उदाहरणार्थ, अकबरके सदृश विक्रमके दयारके नवरत प्रसिद्ध हैं। अनुमान किया जाता है कि कालिदास भी इन नौ रनों से था वह इसी राजाके कालमें हुआ। चन्द्रगुप्त विक्रमादित्यकी चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य समुद्रगुप्तका ज्येष्ठ पुत्र न था। यह निर्वाचन द्वारा युवराज बनाया गया था । वह लगभग सन् ३७५ ई०में गद्दीपर बैठा। इस राजाने मालवा, गुजरात और काठियावाड़को जीतकर अपने राज्यमें मिला लिया। ये प्रदेश चिरकालसे शक जातिके सर- दारों के अधीन चले माते थे। उन्होंने ईसाको पहली शताब्दी में अपना अधिकार जमाया था। इन शक जातीयशासकोंको एका- 'जीते।