वर्ताव करते थे। इस बीचमें बौद्ध-धर्भमें भी बहुतसे परिवर्तन . उत्पन्न हो गये थे। ऐसा प्रतीत होता है कि ब्राह्मणोंने धौद्ध. था और युद्धको विष्णुका अवतार मान लिया था। न तो बोके २१८ भारतवर्षका इतिहास द्वितीय सिंहासनपर पैठा। इसके राजत्वकालका यहुत कम वृत्तान्त शात है । पालादित्य ५३५ ई० में सिंहासनपर बैठा और छठी शताब्दीके मध्यमें इस वंशके साम्राज्यका अन्त हो गया। दूसरा परिच्छेद गुप्त राजाओंके कालमें हिन्दू-साहित्य और कलाकी उन्नात । 'यह बात मानी हुई है कि गुप्त राजाओंका शासनकाल भारत के इतिहासमें साहित्य, विज्ञान और कलाके लिये यहुत प्रसिद्ध हो गया है। एक विद्वान् यूरोपीय लेखक लिखता है कि हिन्दुओंके इतिहासमें यह काल यूनानके इतिहासमें परीक्लोज़के कालके समान था। हम ऊपर फह आये हैं कि इस वंशक राजा ब्राह्म. णोंके धर्म के अनुयायी थे, परन्तु बौद्ध धर्मके साथ उनको फोई शत्रुता न थी। ये बौद्ध भिक्षुओंके साथ बहुत अच्छा धर्म के समी लोकप्रिय सिद्धान्तोंको अपने धर्मका अङ्गयना लिया समयमें हिन्दू या जैन-धर्मका नाश हुआ और न हिन्दू उत्कर्पपर हिन्दुअनि यौद्धोंके साथ कोई शत्रुता की हिन्दू धर्मको धीरे धीरे चौद्ध राजाओने भी ग्रहण कर लिया। कुशल जातिके राजा द्वितीय कडफाइसेसने अपने सिझोंपर शिव और धर्म। हिन्दू धर्मके
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