पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/२६८

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२३६ भारतवर्षका इतिहास थी। पीछेसे उसने सेनाको याहुत अधिक बढ़ा लिया यहांतक कि उसको लेनामें एक लाख सवार मौर साठ सहन साथी हो गये। इस सेनाको सहायतासे यह राजा साढ़े पांच वर्षतक लड़ता रहा। उसने समस्त उत्तर भारतको जीतकर, अपने राज्यमें मिला लिया। फिर ३५ वर्षतक राज्य किया। उत्तर- भारतके अतिरिक्त पश्चिमी मालवा, कच्छ, सौराष्ट्र और थानन्दपुर भी उसके राज्यके अन्तर्गत थे। इस राजाको अपने शासन-कालमें एक एक ही पराजय पराजय मुई अर्याद जबसे उसने नर्मदा पार करके दक्षिणको विजय करनेकी चेष्टा की तो चालुक्य घशके सबसे प्रसिद्ध राजा पुलकेशिन द्वितीयने बड़ी सफलतापूर्वक उसको रोका और हर्ष को पोछे हटना पड़ा। यह चढ़ाई सन् ३२०ई० में हुई। हर्पफा शासनकाल यहुत अंशोंमें अशोक- की टक्करका माना जाता है, यद्यपि ऐसा प्रतीत होता है कि उसके समयमै फौजदारी कानून बहुत कड़ा था और सीमा प्रदेशमें सड़कें ऐसी सुरक्षित न थीं जैसी कि फाहियानके पर्यटनके समयमें थी। दर्पके समयमें वन्दियोंके साथ बहुत बुरा बर्ताव किया जाता था। घोर अपराधोंके बदले में नाक, हाथ और पैर काट दिये जाते थे। अन्वेषणमें भी भारी यातना दी जाती थी। उसके समय में सरकारी दफ्तर अतीय पूर्ण थे और शिक्षा बहुत फैली हुई थी। चीनी पर्यटक ह्य नसाङ्क लिखता है कि इस समय उत्तरी भारत में जहां उसने पर्यटन किया, लगभग दो लाख भिक्षु थे। ये और इनके अतिरिक असंख्य ब्राहाण शिक्षादानका काम करते हर्षका प्रबन्ध ।