पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/३०७

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पांचवां परिच्छेद। बिहार और वंगालके नरेश। बगाल और विहारके महाराज अशोक और चन्द्र पाल और सेन वंश । गुप्तके समयमें बङ्गाल मौर्यवंशो अधीन था। कन्नौजके राजा हर्षके समयमें काम. रूप या आसाम एक करद स्वतन्त्र राज्य था। बड्तालके ऐतिह्य यह सिद्ध करते हैं कि लगभग सन् ७००ई० में या उससे पहले यङ्गालमें हिन्दू-धर्मको दुवारा पुष्टि देनेके लिये कन्नौजसे पांच ब्राह्मण और पांच कायस्थ आये और उनकी सन्तानसे इस समय बहुतसे गण्य वंश हैं। आठवीं शताब्दीमें सन् ७५० ई० में गोपाल नामक एक मनुष्यको बङ्गाल निवासियोंने अपना राजा चुना और उसने पैतालीस वर्पतक राज्य किया। इस वंशका दूसरा राजा धर्मपाल हुआ। कहते हैं इसने चौसठ चर्पतक राज्य किया परन्तु स्मिथकी सम्मतिमें कमसे कम तीस वर्षका शासन प्रमा- णित है। इस राजाने अपने राज्यकोसीमाओंको बहुत बढाया। वायू प्राणनाथका कथन है कि उसके राज्यमें यह सारा प्रदेश धर्मपाल ।

  • हाकर राजेन्द्रनाथको सम्मतिम इस ५यका शासन सन् ८५५३० मैं

पारम्भ था। योयुत र. द. क्योपाध्याय इसका सन् ८०११० में परम होना यसान हैं। विसेट मिथ इसकी विधि सन् ७३० १० देता है।