२१८ भारतवर्पका इतिहास इस वंशका शेष इतिहास चालुफ्य, गएफूट और गङ्ग राजामोंसे लड़ाई मिलाईका वृत्तान्त है । सन् १७५ ई०फे लगभग इस घंशकी महत्ता नष्ट हो गई जगमाथफा मन्दिर। गङ्गने पुरीमें जगन्नाथका मन्दिर बनाया। गगचंशके एक राजा मनन्तवर्मन् चोद- धर्मा। इस वंशके राजाओंका धर्म पहले बौद्ध था, पीछेसे कई राजा घेणव हो गये और कई राजा पहले जैनथे और फिर शैव मतमें मिल गये । परन्तु साधा- रणतया समी धम्मों के लोग उनके राज्यमें शान्तिपूर्वक रहते थे यद्यपि ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ राजाओंने जैन होनेके कारण शैव मतवालोंको और कुछने शेष होकर जैन धर्मवालोंको दुःख दिया परन्तु यह पीड़न अपवादरूप है। सामान्यतया कोई फिसी धर्मका हो राजा लोग किसीफे धर्म में हस्तक्षेप न करते थे। पहला परिशिष्ट हिन्दू और यूरोपीय सभ्यताकी तुलना । इतिहासके पाठका मुल प्रयोजन यह इतिहासके अध्ययनका है कि पाठकको फिसी काल और फिसी. प्रयोजन। जातिकी सभ्यताका यथार्थ ज्ञान हो जाय। राजनीतिक इतिहास में जो राजाओं और शासकोंफा वर्णन अधिक रहता है उसका बड़ा लाभ यह होता है कि सभ्यताके इतिहास- के पढ़नेवालेको कालका निरूपण फरनेमें सुगमता होती है। अन्यथा यह यात कि किस राजाने क्या किया और कौत कौत
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