पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/३४५

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ताका. काल । हिन्दू और यूरोपीय सम्यताकी तुलना ३०३ चेष्टा हमारे लिये घातक होगी। पहले तो नवीन विचार, नवीन और रहन-सहनके नवीन ढंगको अपने इमको यहुत देर लगेगी और इतनी देरतक दूसरी जातियों के दास रहेंगे]..: शिष्यता और अल्प वयस्क- ताका समय अधीनता और हमय होता है। देखिये, अँगरेज, राजनीतिज्ञ के हम अपने देशका शासन करनेके योग्य नहीं, शिष्यता और अल्पवयस्कताका काल अभी आ। यह समझते है कि अपने देशपरं शासन ता हमको उनसे मिलेगी। और यदि हम इस और शिष्यताको एक वार स्वीकार कर लें तो सम्मतिके दुरुस्त होनेपर आपत्ति करनेका कोई रहता । यदि सचमुच ही हम बुद्धि, आध्यात्मि- कृतिकी दूष्टिसे कङ्गाल हों तो भी हमें यह शिष्यता में कोई इन्कार न होना चाहिये। परन्तु जब हम "पान अतीत इतिहासका अध्ययन करते हैं तो हमें पर्याप्तरूपसे यह विदित हो जाता है कि हम कडाल नहीं वरन् इतने वैभव. सम्पन्न है कि हम अपने भाण्डारोंसे दूसरों को भी कुछ दे सकते हैं। हमारे जातीय व्यकित्वकी स्थिरता इस वातपर निर्भर है कि हम इस नयी दुनियामें अपने कमालपनको न स्वीकार करते हुए अपने जातीय अस्तित्वको बनाये रक्खें। और जहां हमको कमी इस यातमें सङ्कोच न हो कि जो कुछ हमें नहीं आता यह ओरोंसे सीख लें, यहां दूसरी ओर हम कभी यह यन न कर कि हम पाश्चात्य जगतका अनुसरण करते हुए एक नवीन भारतीय मस्तित्व धन जाय । पाश्चात्य जगत्ने विहानकी मिन्न