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पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/४१

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w - ( १४ ) मोंका आविर्भाव किस प्रकार हुआ और उनकी पीठके पीछे क्या क्या हेतु थे। राजाओंके नाम उनके समयके राजनीतिक परिवर्तन, उनके युद्ध और उनकी जीते नैमित्तिक पाते हैं, उनसे प्रकृत लाभ अधिक नहीं। अँगरेज इतिहासकार और अन्वेषक अपनी पुस्तकोंका बहुतसा भाग ऐसो वातोंके अन्वेषणमें व्यय. करते हैं जिनसे प्रत इतिहासका उतना सम्बन्ध नहीं। नामों का अन्वेपण, नगरोंका अन्येपण, संपतोंका अन्वेषण यह सारी खोज उस परिश्रम और उद्योगकी पात्र नहीं जो अंगरेज अन्वे. पक इन बातोंपर करते हैं। अन्येपणके योग्य वास्तधिक बातें. धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और नैतिक संस्थायें हैं जिनसे हमको यह पता लगे कि इस समय जो कुछ हमारे विचार है, या इस समय जिन रीति-रिवाजोंके हम पावन्द हैं, या इस समय.जो नैतिक आदर्श हमारे यहाँ प्रचलित हैं, या इस. समय जो कुछ हमारे समाजका मानसिक वातावरण है उसका किस प्रकार विकास हुआ, ताकि भावी प्रगतिमें हमको अपने इतिहासके शानसे पर्याप्त सहायता मिल सके। इस प्रकारके. अन्वेषणके लिये हमारे पास पर्याप्त से अधिक सामग्री मौजूद है, और यह सामग्नी मूक भावसे हिन्दू नवयुवक अन्वेपकोंको बुला- रही है। हमारा धार्मिक इतिहास, हमारा कानूनी इतिहास, हमारा शिक्षा-सम्बंधी इतिहास, हमारा सामाजिक इतिहास-ये सब इतिहास मूल स्रोतोंसे लिखे जाने चाहिये। यह काम ऐसे मनुष्य कर सकते हैं जो संस्कृत, पाली और प्राकृत के पूर्ण पण्डित हों, और जिन्हें अन्वेषणकी आधुनिक रीतियोंका भी ययोचित शान हो, परन्तु सबसे अधिक यात यह कि उनको अपने इस कार्यसे मनुराग हो, और वे अपने जीवन इसी कार्यके भर्पण कर सके । यङ्गाल, महाराष्ट्र और दक्षिणमें कई नवयुव.