पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/४५८

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पूर्वक वृत्तान्त । . । केम्ब्रिज हिस्सरी भाव इण्डियाका प्रथम खण्ड ४१५. वर्तमान कालसे बौद्ध-कालके पहलेकी सभ्यताके विषयमें जो कुछ भी लिखा गया है उसमें अधिकतर कल्पनासे काम लिया गया है। फिर कल्पनायें भी ऐसी दौडाई गई है कि जिनके समर्थनमें कोई युक्तिसङ्गत प्रमाण नहीं। हमारी सम्मतिमें यह पुस्तक केवल अनु- विद्यार्थियोंके लिये संन्धान करनेवाले विद्वानोंके लिये उपयोगी यह पुस्तक लाभ- हो सकती है। साधारण विद्यार्थियोंके लिये दायक नहीं। -इसका अध्ययन भयावह आर पथभ्रष्ट कर देनेवाला होगा। अव हम उसके,भिन्न भिन्न परिच्छेदोंपर कुछ संक्षिप्त सी टिप्पणी लिखते हैं जिससे हमारे पाठकोंको उस पुस्तकका सारांश मालूम हो जाय। प्रथम परिच्छेदम भारत महादेशका भूगोल भूगोल। है। इसमें उस कालका कुछ भी उल्लेख नहीं जब उत्तरी भारतमें समुद्र लहरें मारा करना था और जब भारतका दक्षिणी भाग स्थल-मार्गसे पूर्वी अफीकासे मिला हुआ था। भारतका जो बड़ा मानचित्र इस इतिहासके साथ प्रकाशित किया गया है, उसमें मौंट एपरस्टको गौरीशङ्करसे पृथक् दिघ लाया गया है। मोंट एयरस्टको उचाई २६ सहन फुटसे कुछ अधिक दी गई है । गौरीशङ्करकी ऊचाई २३४४० फुट दी है। हिन्दुओंको दृटिम गौरीशङ्कर उसी,चोटीका नाम था जिसको भय मौंट एवरस्टके नामसे पुकारा जाता है। जातियां और दूसरे परिच्छेदमें मनुष्य संख्या और भाषाओंका वृत्तान्त है । इस परिच्छेदके पहले अनुच्छेदमें ही भनेक कपन ऐसे हैं जिनको भाषायें ।