पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/४६०

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फेम्ब्रिज हिस्टरो आव इण्डियाका प्रथम खण्ड करोड़ों नहीं तो लाखों मनुष्य इस भाषाको पोलते हैं। इस भाषाके बहुतसे प्रकार हैं, जैसे जर्मनको पिडिश उस यिडिशसे सर्वथा भिन्न है जो रूसमें या रूममें वोली जाती है। इसी अनुच्छेदमें फारसीको भी सेमेटिक भाषा पताया गया है। पर सम्भवतः यह लिखनेकी पृष्ठ ३८ पर यह वर्णन है कि उत्तर-पूर्व बाह्य विजयी। पहाड़ों के मार्गसे असंख्य विजपी सेनायें चीन- की ओरसे भारतमें प्रविष्ट हुई। यह कथन हमारे ज्ञानमें बहुत सन्दिग्ध है और उस सारे ग्रंथा-बाडमें इसके समर्थनमें एक भी ऐतिहासिक घटना नहीं दी गई भीर न कोई प्रमाण-पत्र ही उद्धृत किया गया है। सम्भवतः यह बात ठीक होगी कि कुछ जाति भारतमें बसनेके उद्देश्यसे इस पोरसे प्रविष्ट हुई हों। परन्तु भाक्रमणकारी भी इस ओरसे याये इसका कोई ऐतिहा- लिक प्रमाण नहीं उपस्थित किया गया । पृष्ठ ४६ पर आस्ट्रिक" भाषाओंके उद्भवपर विवाद करते हुए फिर इन पूर्वी भाक्रमणों- का उल्लेख किया गया है, परन्तु इसके समर्थनमें कोई प्रमाण नहीं उपस्थित किया गया। सम्भवतः इसका सम्बन्ध ब्रहा या भूटानते है । ब्रह्माको भारतमें गिनना भारी भूल है। इस भूलसे भारतके इतिहासका सारा दृश्य अप्रत हो जाता है। उत्तर- पूर्वी दरोंसे सेनाथोंका भाना तो दूर रहा उस ओरसे पर्यटक और व्यापारी भी कभी भारतमें प्रविष्ट नहीं हुए। इस प्रकार जितने चीनी पर्यटक इस देश में आये ये उत्तर-पश्चिमी मागों से याये। उन उत्तर-पधिमी मागों से प्रविष्ट होनेके लिये चीनसे चलकर उन्हें सारे चीनी तातार या तिब्रतको लाँघना पड़ा।

  • Swarms of Nomads and Conquering Armies.

+ Tribal migrations. २७