पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/५१३

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भारतवपका इतिहास पौराणिक साहित्य (रामायण, महाभारत, पुराण ) के ऐतिहासिक अंशोंका कुछ विवेचन हुआ तो है पर बहुत कम । इसका महत्व यहुत कम माना गया है। सौरनसेनने महाभा. रतके नामोंकी एक सूची तैयार की है। पाजींटरने मार्कण्डेय पुराणका अनुवाद किया है। इसकी टिप्पणियां भौगोलिक खोजके लिये बहुत उपयोगी हैं । उनकी दूसरी पुस्तकका उल्लेख हो चुका है। बीस त्रिपिटक और जातकोंके एवं दीपवंश और महावंशके संस्करण और अनुबाद हो चुके हैं। जातकोंकी कहानियोंमें प्राचीन भारतीय समाजका संजीव चित्रण है। पालीटेक्स्ट सोसाइटी भी अन्य वौद्ध ग्रन्थों का सम्पादन और अनुवाद करा रही है। जैन-सूत्रोंके संस्करण और अनुवाद भी प्रकाशित हो चुके हैं। नवीन संस्कृतके साहित्यमेंसे इस कालसे सम्बन्ध रखने- वाला भासका "स्वप्न वासवदत्तम्" नामका ऐतिहासिक नाटक है। यह युद्ध भगवान्के समयके राजाओंका वर्णन करता है। यह नाटक त्रिवेन्द्रमसंस्कृत सीरीजमें प्रकाशित हो चुका है। आय्योंकी प्राचीनतम सभ्यताका पता भिन्न भिन्न आर्य- जातियोंकी भाषाओं, मतों, देवमालाओं और रीति-नीतिके' तुलनात्मक अध्ययनसे लगता है। इस सम्बन्धमें भी विस्तृत साहित्य विद्यमान है जिसका उल्लेख हमारी इस सूचीमें नहीं हो सकता था। एक अमरीकन विद्वान डोपन(Doane)ने "Bible Myths and thiet Parallels in other Religions" FH पुस्तकमें सब देशोंकी प्राचीन गाथाओंका यड़ा मनोरञ्जक संग्रह किया है और भारतीय गाथाओंसे उनका सम्बन्ध दिखलाया है। प्राङ्मौर्य. कालमें भी भारतवर्षका सुमेर, आकाद, मिस्र,