पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/७३

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४६ मा.तका शत. । 1 बातें निकाला गया है। उसके अद्भुत खंडहर, सामग्री, चित्र और मूर्तियां निकालकर परिणामदशी लोगों तथा विद्वानोंके अध्ययन के लिये प्रदर्शित की जा रही है। भारतके प्राचीन इतिहासका अध्ययन करके प्रसिद्ध स्थानों. का निश्चय करना अति कठिन काम है। इस विषयमें जो कुछ अन्वेषण गवर्नमेंटके पुरातत्व विभागने किया है और उसके परिणाममें जो कुछ शान प्राप्त हुआ है वह यहुत मूल्यवान है। यहां यदि संक्षेपसे भी उसका वर्णन किया जाय तो पुस्तक बहुत लंबी चौड़ी हो जायगी, जो ठीक नहीं है। इसलिये श्री० कनिंगहमके प्राचीन भारतके भूगोलसे लेकर केवल कुछ यहाँ लिखते हैं:- महाभारत में मारतंको नौ खण्डोंमें बांटा गया देशके प्राचीन है। अब उन नौ भागोंका पता नहीं चलता। विभाग परन्तु चीनी पर्यटकोंने भारतको पाँच बड़े प्रान्तोंमें विभक्त,किया है। वे पाँच प्रान्त ये थे:- १ उत्तरीय भारत। • इसमें सम्पूर्ण पंजाय-विशेप, काश्मीर तथा अन्य निकटवर्ती पहाड़ी राज्य, सिन्धु नदीके पार सम्पूर्ण पूर्वी अफगानिस्तान और वे सय देशी राज्य हैं जो सरस्वती नदीके पश्चिममें स्थित है। २ पश्चिमी भारत । अर्थात् सिंधु देश, पश्चिमी राज- पूताना, थोडासा गुजरात तथा कुछ भाग उस प्रदेशका जो • नर्मदा नदीके निचले भागमें स्थित है। ३ मध्य भारत । इसमें यह सम्पूर्ण प्रदेश मिला हुआ था जो गङ्गा नदीके किनारोंपर स्थित है, अर्थात थानेश्वरसे लेकर त्रिकोण द्वीप (डेल्टा) के मुहानेतर्क और हिमालय पर्वतसे लेकर नर्मदातक।