भारतवर्षका इतिहास १७ वेदों, ब्राह्मण-मन्थों और वेदों, ब्राह्मण ग्रन्थों और उपनिषदोंकी उपनिषदोंकी संस्कृत। भापामें भी बहुत अन्तर है। इससे यद प्रत्यक्ष है किये ग्रन्थ भिन्न भिन्न कालों में लिखे गये और उन कालोंमें भी परस्पर पड़ा अन्तर है। फिर भी इन ग्रन्थों की भाषा और उनसे पीछेके संस्कृत साहित्यकी भाषामें इतना भारी अन्तर है कि सभी शिद्वान इन पुस्तकोंको अति प्राचीन मानते हैं। इनके अतिरिक्त जो अन्य पुस्तके वैदिक साहित्यके अन्तर्गत हैं उनका आगे संक्षेपसे वर्णन किया जाता है। उपवेद-वास्तव में उपवेद चार हैं। (१) धनुर्वेद, अर्थात् युद्ध-विद्या। (२) गान्धर्ववेद, अर्थात् संगीत विद्या । (३) अथर्ववेद, अर्थात् शिल्प-विद्या । (४) आयुर्वेद, अर्थात् वैद्यक । वेदाङ्ग-चैदिक साहित्यको ठीक ठीक तौरपर समझनेके लिये यह आवश्यक है कि मनुष्य कमसे कम विद्याकी उन छ: शाखाओंसे परिचित हो जिनको हिन्दू-शास्त्रों में “वेदाङ्ग" कहते हैं। चे छः चेदाङ्ग ये हैं :- पहला-शिक्षा। दुसरा छन्द तीसरा-व्याकरण । चौथा-निरुका पांचों-ज्योतिष छठवां-कल्प अर्थात् धर्म-शास्त्र। मेकमुमरने वेदान्तपर पने व्याख्यानोंमें जहा कि यदि इस कथा ममर्थन भाषामकता होती माय समर्थन करता है। .
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