पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/९९

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तीसरा परिच्छेद वैदिक कालकी सम्यता । वैदिक कालकी सभ्यताफा वित्र अधिकतर वैदिक साहित्यमें ही मिलता है, क्योंकि प्रामाणिक रूपसे उस समयके कोई भवन अथवा मन्दिर विद्यमान नहीं है। फिर भी यह सामग्री ऐसी पर्याप्त है कि इससे वैदिक कालका अच्छा खासा चित्र तय्यार किया जा सकता है। आयकि धर्मका उल्लेख तो ऊपर हो चुका है। अब उनका सामाजिक और राजनीतिक जीवन तथा उनके रहन-सहनका संक्षिप्त वर्णन किया जायगा.! रहन सहनका ढङ्ग हिन्दु आर्य लोगोंके विषयमें कई कृषि और भोजन । यूरोपीय इतिहासकारोंने लिखा है कि ये अस्थिरवासी थे। परन्तु यह यात सर्वथा असत्य है। इस यातका यहुत पर्याप्त प्रमाण मौजूद है कि मार्य लोग भारतमें आनेके पहले और भारतमें आनेके बाद भी मेसोपोटेमिया अर्थात् इराफ अरव, इराफ अजम, फारस और अफगानिस्तानके प्रदेशोंमें राज्य करते थे और कृषि-शास्त्र, वास्तुविद्या और 'शस्त्र-निर्माण-विद्यासे भली भांति परिचित थे। ऐसा जान पड़ता है कि हिन्दू आर्यों के पहले भारतमें रहनेवाले लोग अधि. • कतर चावल खाते थे, चावलकी खेती करते थे और जंगली फल खाते थे। हिन्दू-आय्ोंने उनको गेहूं, जो आदि अनाज तथा सरसों और तिल आदि बीज और नाना प्रकारके फल उत्पन्न करना सिखलाया। आर्य लोग पशु भी असंख्य रखते थे। वे गऊ और घोड़की बड़ी कदर करते थे। वेदोंमें जो शब्द गऊके