पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/१२०

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भारतवर्ष का इतिहास एक हिन्दू, दूसरा मुसलमान । शेष सब ऐसे अंगरेज़ हैं, जो भारत में उच्च पदों पर अधिकारी रह चुके हैं। १०–तीनों प्रेसिडेन्सो नगरों कलकत्ते, मद्रास तथा बम्बई में युनिवर्सिटियां स्थापित को गई। तत्पश्चात् अन्य तीन प्रान्तों की राजधानियों इलाहाबाद, लाहोर और पटने में भी युनिवर्सिटियां स्थापित हो गई। उनसे शिक्षा तथा अंगरेज़ी प्रचार में बड़ो सहायता मिली। कारण यह कि सहस्रों विद्यार्थी इन युनिवमिटियों और उनके आधीन कालेजों में शिक्षा पाने के लिये इकट्ठा होते हैं । यह कालेज उन विद्यार्थियों को वार्षिक परीक्षाओं के लिये तैयार करने के प्रयोजन से स्थापित किये गये हैं। शिक्षा में जो सुधार हुआ है, वह भी क्रमशः हुआ है। जब यह देखा गया कि पहिलो युनिवर्सिटियां अच्छी फलीभूत हुई हैं, तो फिर यह दूसरी भी अति सावधानी तथा सुगमता से बारी बारी से खोल दी गई। प्राइमरी (प्रारम्भिक) तथा सेकण्डरी (द्वितीय श्रेणी के ) स्कूल खोलने में भी यहो नीति दरती गई है। समस्त उच्च (हाई ) मध्यम ( मिडिल ) तथा प्रारम्भिक (प्राइमरी) शिक्षा की पाठशाला एक दम ही नहीं खोलो गई, वरन् शनैः शनैः खुली हैं, जब यह स्पष्ट रीति से ज्ञात हो गया कि लोग इन्हें पसन्द करते तथा सम्मान को दृष्टि से देखते हैं और अब इन में शिक्षा देने के लिये योग्य अध्यापक तैयार हो गये। विद्रोह दूर करने, शान्ति स्थापित रखने तथा देश शासन के उन्नति करने में लाडे केनिंग को जो कठिन परिश्रम करना पड़ा उससे वह बहुत थक गये और अपने देश इंगलिस्तान पहुंचने के एक वर्ष उपरान्त हो ५० वर्ष की आयु में सन् १८६२ ई० में इस असार संसार से कूच कर गये। उनकी धर्मपत्नी इस से कुछ काल पहिले ही बंगाल में ज्वर का भट हो गई थों।