पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/१६८

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भारतवर्ष का इतिहास भारत सरकार कर सकती है जिसके पास एक ऐसो सबल सेना हो जो हर प्रकार सन्तुष्ट, अच्छे अस्त्र-शस्त्रों से सुसजित हो जिस के अफसर योग्य और चतुर हों और जिसके सेनापति लोग बड़े बुद्धिमान हों। इस हेतु भारत रक्षा का भार भारत सरकार पर होगा, जिसके प्रधान, इंगलैण्ड के अधिपति और भारत के महाराजाधिराज के प्रतिनिधि स्वरूप, वाइसराय हैं। सरकार का मुख्य कर्तव्य भारत में शान्ति रखना, देश में रक्तपात रोकना और देश को बाहरी शत्रुओं के थल, जल तथा गगन मार्ग के आक्रमणों से बचाना है। १५-इस हेतु थलसेना, नौ सेना और नभसेना का प्रबन्ध, बड़ी बड़ी रेलवे, समस्त भारत में फैले हुए तार और डाकघर, ध्यापार और जहाज़ी बेड़े, देश में आनेवालो और बाहर जानेवालो वस्तुओं का कर, रक्षित राज्य तथा विदेशी राज्य से लिखा पढ़ी का काय भारत सरकार जिसके प्रधान वाइसराय है, अपने हाथ में रखती है। १६-वाइसराय की व्यवस्थापक सभा जिस को अब लेजिस लेटिव एलेम्बली कहते हैं पहले की अपेक्षा बहुत बड़ी हो गई है इसमें १४४ सदस्य हैं जिसमें १०० से अधिक अर्थात् दो तिहाई से अधिक सदस्य जनता द्वारा निर्वाचित होंगे। शेष प्रान्तीय घ्यवस्था- पक सभा को तरह वाइसराय द्वारा नामजद होंगे। सदस्य समस्त भारत के लिये दीवानी और फौजदारी के कानून बनायेंगे। १७-रास्द्र सभा (कौन्सिल आव स्टेट ) यह वाइसराय की तोसरो सभा है इस में ६० सदस्य होंगे, जिस में ३३ अर्थात् आधे से अधिक जनता द्वारा निर्वाचित होंगे, और शेष वाइसराय द्वारा नामजद होंगे। सभी कानून जो व्यवस्थापक सभा बनायेगी देश में जारी होने से पहिले रास्ट्र सभा द्वारा पास होने चाहिये