पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/१७१

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ग्रेट ब्रिटेन के साम्राज्य में भारतवर्ष की उन्नति सब दण्ड दिया जाता है। ऐसे ही न कोई दास रख सकता है न उसको मार पीट सकता या कोई दुःख दे सकता है न उसको मोल ले सकता या न दे सकता है क्योंकि बरसों से ब्रिटिश राज्य में दासों का क्रय विक्रय सरकारी आक्षा से बन्द कर दिया गया है। ४-अब सब के लिये एकसा कानून है ; सबके अधिकार बराबर है फौजदारी का जावता एक हो है जो छाप कर प्रकाशित कर दिया जाता है और सब लोग उसे जान जाते हैं। अच्छी तरह जानते हैं कि हमको किन कामों के करने का अधिकार है किन का नहीं। उस कानून में एक एक अपराध के लक्षण स्पष्ट दिये हैं और उस अपराध करने का दण्ड भी लिखा है। न हिन्दुओं के लिये कोई और कानून हैं न मुसलमानों और ईसाइयों के लिये। कानून के विरुद्ध काम करनेवाला कोई हो दण्ड पाता है। किसी को छोटाई बड़ाई देखो नहीं जाती। कानून में कंगाल धनी सब एक से हैं। सब के साथ एक सा बर्ताव है और विरुद्ध चलनेवाले के लिये दंड भी एक ही है। ५--पर दोवानो और धर्म के विषयों में और बरासत के बारे में हिन्दुओं के लिये धर्मशास्त्र और मुसलमानों के लिये शरह महम्मदी पर विचार होता है। जाति पांति के विरुद्ध कोई नियम नहीं। हिन्दू शास्त्र और पुराणों के अनुसार अपनी कड़ी से कड़ी रोतियों को मान सकते हैं और मुसलमान उन कायदों पर चल सकते हैं जो कुरान और हदीस में लिखे हैं। ६-परन्तु कानून की दष्टि में सब लोग बराबर हैं, ब्राह्मणों पर भी कानून को पाबन्दी वैसीही बाध्य है जैसो शूद्रों पर । धनी आर कुली दोनों कानून की एक श्रृंखला में बंधे हैं। ऊंचो जाति का कोई आदमी अपराध करे तो उसे भी दण्ड मिलता है। HIST, Pt. 11--11.