पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/१७६

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भारतवर्ष का इतिहास १२–अब सब जगह शान्ति है। प्रजा को इसकी आवश्यकता थी। ज़मोंदार बेखटके अपने खेतों में खेती करते हैं और उनको किसी का डर नहीं है। अच्छी सडके, रेल और तार सब जगह है जिनसे भारत के सब हिसल ब्रह्मा समेत एक दूसरे के मानो पास हो गये हैं। पहिले यह बात न थो। हिन्दुस्थान और मध्य भारत मानो बिलकुल मिल गये हैं। समुद्रतट पर धुर्गा के जहाज़ फिरते हैं। मुग़ल बादशाहों को दिल्ली में अपने राज के दूर के हिस्सों के समाचार कई सप्ताह में पहुंचते थे और सेना के भेजने में महीनों लग जाते थे । अब वाइसराय घण्टे ही भर में दिल्ली या शिमले में बैठे बैठे बंगाल तथा ब्रह्मा या मद्रास के हजारों मोल के स्थानों का हाल जान लेते हैं और तीन चार रोज़ के भीतर ही भीतर जहां चाहं रेल से सेनाओं को भेज सकते हैं। जब तक भारत में राजराजेश्वर हैं किसी लड़ाई भिड़ाई का खटका नहीं है। ब्रिटन को बादशाहत में हर जगह शान्ति रहेगो और हम भारतवासी सुख से रहेंगे। आया। (३) सड़क और रेल की लाइन १-पचास बरस से कुछ अधिक हुआ जब ईस्ट इण्डिया कम्पनी टूट गई और भारत का शासन इंगलैंड को महारानी के हाथ में तब से बहुत सो सड़के और रेलवे लाइने बन गई हैं। २-बहुत सो सुख की सामग्रो जो हमको मिली है, बहुत सी वस्तुएँ जो हमारे नित्य के काम में आती हैं, वह सामान जो भारत दूर देशों में बनता है इंगलिस्तान से या और देशों से आता है-जैसे तरह तरह के चाकू, कपड़े, Cड़यां, ताले, किताबें, दियासलाई और अनेक बस्तु जिनको गिनती नहीं हो सकती। यह सब अच्छो सड़के' न होतों या रेल का प्रबन्ध न होता तो हमें