पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/२८

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भारतवर्ष का इतिहास ५२-मीरकासिम (सन् १७६१ ई० से सन् १७६५ ई० तक) १-क्लाइव के इङ्गलैण्ड की ओर चलते ही मोरजाफ़र के बुरे दिन आ गये। दिल्ली का शाहज़ादा शाह आलम द्वितोय के नाम से राज-सिंहासन पर बैठ चुका था। उसने अवध के नवाब के साथ बंगाले पर फिर चढ़ाई की। २-ऊँगरेज़ी गवनेर ने कप्तान नाक्स को थोड़ी सी पलटन देकर उनका सामना करने को भेजा। पटना शहर के पास दोनों दल भिड़ गये। नाक्स के सिपाहियों ने शाह आलम और शुजाउद्दौला दोनों हरा दिया, और दोनों अवध को ओर भाग गये। ३-अब यह सिद्ध हो गया कि मोरजाफ़र बंगाले पर शासन करने की योग्यता नहीं रखता। कलकत्ते के गवर्नर ने उसको सिंहासन पर से उतार दिया और मीरकासिम उसकी जगह उसके दामाद मीरकासिम को नवाब बनाया। आशा यह थी कि यह अच्छा निकलेगा और अपने देश की रक्षा करेगा। इसके बदले मीर- कासिम ने बंगाले का तिहाई हिस्सा जिसमें बरदवान, चटगांव और मेदनापुर के जिले हैं अंगरेज़ों को भेंट किया। ४-मीर सिम पहिले तो अच्छा रहा। उसने मीरजाफ़र का सव पर्जा पाट दिया और देश का प्रबन्ध भी अच्छा किया। वह