पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/३०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२०
भारतवर्ष का इतिहास

मंत्र दिया कि हम तीनों मिल कर अंगरेज़ो पर चढाई करें और उनको देश से निकाल दें। पटने में जो अंगरेज़ो सौदागर थे उनको पकड़ कर मीरकासिम ने क़ैद कर लिया और अपने अफ़सरों को आज्ञा दी कि जो अंगरेज़ जहां मिले मारा जाय ।

७–-कलकत्ते में अंगरेज़ों की कौंसेल हुई और मीरजाफ़र राजगद्दी पर फिर बैठाया गया। मेजर ऐडम्स को जो सिपाही मिले उनको साथ ले कर वह कलकत्ते से चला। उसके साथ छ: सौ गोरे और एक हाजार हिन्दुस्थानी सिपाही थे। तीन जगह मीरकासिम की पल्टन से लड़ाई हुई और तीनों जगह उसने मौरकासिम को पलटन को हराया और उसकी राजधानो मुंगेर पर चढ़ाई की।

८--मीरक़ासिम उसके आने तक भी न ठहरा। मुंगेर छोड़ कर पटने की ओर भागा। अब उसने अंगरेज़ो के कमानियर से कहला भेजा कि आगे बढ़ोगे तो सब अंगरेज कैदियों को जान से मार डालूंगा। क़ैदियों में एक मिस्टर एलिस बड़ा योग्य था। उसने मेजर लारेन्स को लिख भेजा कि जो होना हो सो हो तुम चढ़े. चले आओ।

९--मेजर लारेन्स ने यह विचारा कि क्या मोरकासिम ऐसा निठुर और निर्दयी होगा कि निहत्थे कैदियों को मार डालेगा; इसलिये बढ़ा चला गया और मुंगेर दबा बैठा। यह समाचार पाते हो मीर कासिम बहुत बिगड़ा। उसको सेना में समरू नाम एक नोच जरमन नौकर था। मोरकासिम को आज्ञा पाकर समरू ने बहुत से हिन्दुस्थानी सिपाही लेकर सारे अंगरेज़ कैदो मार डाले यह पाप ब्लैक होल की घटना से भी बढ़ गया। इसको पटने का बध कहते हैं।

१०--कुछ दिन पीछे पटना भो जीत लिया गया। मीरक़ासिम अवध पहुंचा और-शाह आलम और शुजा-