पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/६४

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५४ भारतवर्ष का इतिहास थोड़े दिन गोले बरसे और कोट का कोना टूटा गया । जब पूरी तैयारी हो गई तो जनरल पेटर्ड जो पहिले बहुत दिनों तक श्रीरङ्गपत्तन में कैद रह कर टीपू के हाथ से दुख पा चुका था और पहिलो लड़ाई की समाप्ति पर छोड़ दिया गया था अगरेज़ो पलटन लेकर किले पर चढ़ा। सात मिनट में कोट पर पहुंच गया और एक घंटे में किला ले लिया गया। टीपू सुलतान फाटक पर लड़ता हुआ मारा गया। १४. अब मैसूर देश जोत लिया गया। गवर्नर जनरल चाहता तो उसे अगरेजो राज्य में मिला लेता परन्तु गवर्नर जनरल ने पांच बरस के छोटे बच्चे को जो उस हिन्दू राजा के वंश में था जिसको हैदर अली ने उतार दिया था मैसूर को गद्दी पर बैठाया। उसका नाम कृष्णराज था। देश का वह भाग जो मैसूर से अलग था और हैदर अली और टोपू ने जोत कर मिला लिया था अगरेज़ निज़ाम और मरहठों में बंट गया। अगरेज़ों को वह इलाका मिला जो अब कानारा और कोयमबटूर के नाम से प्रसिद्ध है। । टीपू सुलतान के बेटों के साथ बड़े मित्र भाव का बर्ताव किया गया। उनके लिये बड़ी बड़ी पेनशने कर दी गई और वह बेलौर भेज दिये गये जहां वह आराम से रहें सहें। ६५-मार्किस वेलेजली (उत्तरार्द्ध) १-कुछ दिन पीछे निज़ाम ने यह प्रार्थना की कि जो अगरेजी सेना मेरी सहायता के लिये हैदराबाद भेजी गई है उसका खर्चा नगद लेने के बदले मुझ से यह ज़िले ले लिये जायं जो मुझे अभी मिले हैं। कम्पनी ने यह बात मान ली और सन् १७६६ ई० में मुंगभद्रा और मैसूर के बीच का इलाका जो अब बिलारो और