पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/७३

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लाई कार्नवालिस इस लिये हो गया। कम्पनी को अपने लाभों ही से मतलब था । नया गवर्नर जनरल जो आया तो यह हुक्म लेकर आया कि होलकर से तुरंत सन्धि कर ली जाय, और कम्पनो भारत के किसी रईस से छेड़ छाड़ न करे। पहिले इसी तरह के हुक्म सर जान शोर को भी मिल चुके थे। २लाई कानवालिस पहिले भी एकबार गवर्नर जनरल रह चुका था। अब सत्तर बरस के लगभग उसको उमर हो चुकी थी। यह बंगाले के गरम और सीले देश में रहने के लायक न था। यहां आये तीन महीने भो न बोते थे कि मर गया। ३--सर जान बारलो इसको जगह पर कुछ दिनों के लिये गवर्नर जनरल हुआ। होलकर खुशी से वही शर्त मान लेता जो और मरहटा राजाओं ने की थी। पर सर जान बारलोको जो हुक्म इंगलिस्तान से मिले थे उन को मान कर होलकर से सन्धि कर लेनो पड़ो। होलकर, बाजीराव पेशवा, राघोजी भोंसला सिन्धिया किसो को समझ में न आया कि यह गवनर जनरल लाई वेलेजलो अभिप्राय के विरुद्ध क्यों काररवाई कर रहा है। यह सब यही समझे कि नया गवर्नर जनरल होलकर से डर गया। फिर तो इनके मन में बड़ा पछतावा हुआ कि हमने क्यों अंगरेजों के साथ ऐसो प्रतिक्षा कर लो। यह लोग सात बरस तक लड़ाई की तैयारी करते रहे और यह प्रवन्ध सोचते रहे कि.किस तरह अपनी पुरानो दशा और अधिकार को फिर पा जाये और फिर दूसरे देशों से चौथ लें। ४-सिन्धिया से जो होलकर के साथ मिल गया था एक नई सन्धि को गई। ग्वालियर का मज़बूत किला जो पहिले जोत लिया गया था उसको लोरा दिया गया और चम्बल नदी उसके और सरफार कम्पनो के इलाकों में सरहद बनाई गई।