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कल्पवृत्त, महारास, भारत आरत, भारत ललना तथा हरितालिका नाटक लिखा था। पं॰ गदाधर भट्ट मालवीय ने मृच्छकटिक तथा वेणी संहार का अनुवाद किया। इन्होने मुद्राराक्षस का भी अनुवाद किया था पर भारतेन्दु जी के अनुवाद को सुनकर उसे यह कह कर प्रकाशित नहीं कराया कि अब इसकी आवश्यकता नहीं है। पं॰ राधाचरण गोस्वामी ने सती चंद्रावली तथा श्रीदामा छोटे छोटे नाटक लिखे। पं॰ दामोदर शास्त्री ने रामलीला सातोकांड, बालखेल या ध्रुवचरित, राधामाधव तथा वेणी संहार लिखे। बा॰ कार्तिक प्रसाद ने ऊषाहरण नाटक लिखा था। बा॰ गोपालराम गहमरी ने बभ्रुवाहन देश दशा, विद्याविनोद और चित्रांगदा का अनुवाद प्रकाशित किया। पं॰ किशोरी लाल गोस्वामी ने चौपट चपेट, नाट्यसम्भव, वर्षा की बहार तथा मयंकमंजरी महानाटक लिख डाला। पुरोहित गोपीनाथ ने शेक्सपिअर के तीन नाटको का अनुवाद प्रेमलीला, वेनिस का व्यापारी और मनभावन नाम से छपवाया। किसी 'आर्या' नाम्नी लेखिका ने भी मर्चेंट आव वेनिस का अनुवाद किया था। सन् १९०० ई॰ के पहिले ही से लाला सीताराम बी॰ ए॰ 'भूप' ने संस्कृत के नाटकों तथा काव्यों के अनुवाद में हाथ लगा दिया था और अब तक नागानंद, मृच्छकटिक, महावीर चरित, उत्तर रामचरित, मालती माधव, मालविकाग्निमित्र आदि का अनुवाद कर चुके हैं। रायदेवीप्रसाद पूर्ण का चंद्रकलाभानुकुमार मौलिक नाटक है पर अभिनय की दृष्टि से बहुत बड़ा है।
बीसवीं शताब्दि के साथ साथ द्विजेन्द्रलालराय के बंगभाषा