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भारतेंदु-नाटकावली

कोई मूत्तिमान, कोई छिपकर और कोई रूपांतर करके नित्य निवास करते हैं।

जहाँ मूर्त्तिमान सदाशिव प्रसन्न-वदन अाशुतोष सकल-सद्गुणैकरत्नाकर, विनयैकनिकेतन, निखिल विद्याविशारद, प्रशांतहृदय, गुणिजनसमाश्रय, धार्मिकप्रवर, काशी-नरेश महाराजाधिराज श्रीमदीश्वरीप्रसाद नारायणसिंह बहादुर और उनके कुमारोपम कुमार श्री प्रभुनारायण-सिंह बहादुर दान धर्मसभा रामलीलादि के मिस से धर्मोन्नति करते हुए और असत् कर्म नीहार को सूर्य की भॉति नाशते हुए पुत्र की तरह अपनी प्रजा का पालन करते हैं।

जहाँ श्रीमती चक्रवर्तिनिचयपूजितपादपीठा श्रीमती महारानी विक्टोरिया के शासनानुवर्ती अनेक कमिश्नर, जज, कलेक्टरादि अपने-अपने काम में सावधान प्रजा को हाथ पर लिए रहते हैं और प्रजा उनके विकट दंड के सर्वदा जागने के भरोसे नित्य सुख से सोती है।

जहाँ राजा शंभूनारायणसिंह, बाबू फतहनारायणसिंह, बाबू गुरुदास, बाबू माधवदास, विश्वेश्वरदास, राय नारायणदास इत्यादि बड़े-बड़े प्रतिष्ठित और धनिक तथा श्री बापूदेव शास्त्री, श्रीबाल शास्त्री से प्रसिद्ध पंडित, श्रीराजा शिवप्रसाद, सैयद अहमद खाँ बहादुर ऐसे योग्य पुरुष,