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भारतेंदु-नाटकावली
व०---कहा काज है?---
चंदा०---पियारे सो मिलन मोहि काम है॥
व०---मैं हूँ कौन बोल तौ?---
चंद्रा०---हमारे प्रानप्यारे हो न?---
व०---तू है कौन?---
चंद्रा०---पीतम पियारे मेरो नाम है।
संध्या---( आश्चर्य से ) पूछत सखी कै एकै उत्तर बतावति जकी सी एक रूप आज श्यामा भई श्याम है॥
( बनदेवी आकर चंद्रावली की पीछे से अँखि बंद करती है )
चंद्रा०---कौन है कौन है?
बन०---मैं हूँ।
चंद्रा०---कौन तू है?
बन०---( सामने आकर ) मैं हूँ, तेरी सखी वृंदा।
चंद्रा०---तो मैं कौन हूँ?
बन०---तू तो मेरी प्यारी सखी चंद्रावली है न? तू अपने हू को भूल गई।
चंद्रा०---तो हम लोग अकेले बन में क्या कर रही है?
बन०---तू अपने प्राणनाथै खोजि रही है न?
चंद्रा०---हा! प्राणनाथ! हा! प्यारे! प्यारे अकेले छोड़के कहाँ चले गए? नाथ! ऐसी ही बदी थी! प्यारे यह धन इसी